एक तिहाई सांसद लिस्ट से बाहर
ममता बनर्जी ने 34 मौजूदा सांसदों में से 8 को टिकट नहीं दिया है, जबकि दो ने पार्टी छोड़ बीजेपी जॉइन कर ली है। इससे स्पष्ट है कि ममता बनर्जी ऐंटी-इन्कम्बैंसी से बचने के लिए सांसदों के टिकट काट नए उम्मीदवार उतार रही हैं। स्थानीय मुद्दों पर जनता की नाराजगी से बचने का यह कारगर उपाय कहा जा सकता है।
17 उम्मीदवार नए या नई सीट से
बीजेपी से मिल रही टक्कर और जनता के रुझान को देखते हुए ममता बनर्जी ने 17 उम्मीदवार ऐसे तय किए हैं, जो पहली बार लोकसभा जाने की तैयारी में हैं या फिर उनकी सीट बदली गई है। सत्ता विरोधी लहर से निपटने का यह भी एक तरीका है।
महिला कार्ड से बढ़त की कोशिश
ममता का यह कार्ड भी अहम साबित हो सकता है। उन्होंने 40 पर्सेंट से ज्यादा टिकट महिला उम्मीदवारों को दिए हैं। महिलाओं को अपने पक्ष में करने का यह सबसे आसान तरीका साबित हो सकता है।
अस्तित्व की जंग में लेफ्ट-कांग्रेस, बीजेपी मजबूत प्लेयर
इस बार सूबे में आम चुनाव की जंग तृणमूल बनाम बीजेपी दिख रही है। बीजेपी यहां एक मजबूत विपक्ष के तौर पर उभरी है और कई जिलों में लेफ्ट का सपॉर्ट बेस बुरी तरह कमजोर हुआ है। ऐसी स्थिति में लेफ्ट ने कांग्रेस संग मिलकर बीजेपी और तृणमूल के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई में उतरने का फैसला लिया है।
ममता ने भी माना बीजेपी से कड़ी चुनौती
ममता ने खुद मंगलवार को अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के बाद यह माना था कि यह चुनाव कठिन है और बीजेपी से कड़ी चुनौती मिल रही है। यही नहीं उन्होंने तो यहां तक कहा कि यदि माया और अखिलेश उन्हें आमंत्रित करते हैं तो वह वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ कैंपेन करेंगी।