शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है बैजनाथ

बैजनाथ अपने प्राचीन शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह 51 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वास्तव में बैजनाथ अपने वैद्यनाथ (वैद्यों के स्वामी) के मंदिर, जिसे बैजनाथ कहते हैं, के नाम से जाना जाता है। बैजनाथ के पास बिनवा नदी के किनारे कठोग प्राकृतिक जल स्रोत है। इसके पानी में चमत्कारी गुण बताए जाते हैं…

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बैजनाथ

बैजनाथ (पुराना नाम किरग्राम) मंडी- पठानकोट मार्ग पर स्थित है। दो शारदा ग्रंथों में किरग्राम का उल्लेख आता है। बैजनाथ अपने प्राचीन शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह 51 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वास्तव में बैजनाथ अपने वैद्यनाथ (वैद्यों के स्वामी) के मंदिर, जिसे बैजनाथ कहते हैं, के नाम से जाना जाता है। बैजनाथ के पास बिनवा नदी के किनारे कठोग प्राकृतिक जल स्रोत है। इसके पानी में चमत्कारी गुण बताए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि राजा संसार चंद इसी जल स्रोत का पानी पिया करते थे, चाहे वह कहीं भी रहते थे।

छतराड़ी

चंबा शहर से 25 मील दूर देवी आदि शक्ति के प्रसिद्ध मंदिर का स्थान छतराड़ी है। यहां प्रतिवर्ष दुर्गा अष्टमी मेले के तीन दिन बाद मणिमहेश झील से पुजारी एक लोटे से में पानी लाकर छतराड़ी देवी की मूर्ति को स्नान करवाते हैं। इस मंदिर की काष्ठकला दर्शनीय है। लकड़ी की पच्चीकारी में नवग्रह, कार्तिकेय, इंद्र और ब्रह्मा की मूर्तियां शोभयमान हैं।

 बारालाचा दर्रा

16200 फुट की ऊंचाई पर पांच किलोमीटर लंबा बारालाचा दर्रा मुख्य हिमालय को केंद्रीय हिमालय शृंखला से जोड़ता है। इस दर्रे पर जास्कर, लद्दाख, स्पीति और लाहुल से आने वाली सड़कें मिलती हैं।

छारी

छारी कोट कांगड़ा के समीप एक गांव है, जहां 1854 में एक मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए थे। मंदिर की नींव में कुछ पत्थरों पर खुदे लेख मिले हैं, जो बुद्ध धर्म की ओर इशारा करते हैं। यहां पर उपलब्ध सात जंगली सूअरों की आकृति से यह अनुमान लगाया गया है कि यह मंदिर तांत्रिक भगवान वज्रवराही का था।

चौंतड़ा घाटी

चौंतड़ा घाटी जिला मंडी की जोगिंद्रनगर तहसील में स्थित है। यह घाटी उपजाऊ, मैदानी तथा अधिक जनसंख्या घनत्व वाली है। चौंतड़ा घाटी धौलाधार पर्वत शृंखला के धरालत पर स्थित है। इस घाटी का वातावरण मनमोहक तथा पौष्टिक है।