सरकार चाहे तभी रुकेगी निजी स्कूलों की लूट

शिक्षा विभाग की दोटूक, हर साल बढ़ रही फीस महकमा नहीं कस सकता नकेल 

शिमला—लंबे समय से निजी स्कूलों की एक्स्ट्रा फीस वृद्धि को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि अगर सरकार कोई निर्देश दे, तभी ही निजी स्कूलों की फीस वृद्धि को रोका जा सकता है। दरअसल शिक्षा  विभाग के पास ऐसा कोई अधिकार या फिर  नियम नहीं है, जिसके तहत वह निजी स्कूलों द्वारा हर साल बढ़ाई जा रही फीस को रोक पाए। यह बात खुद शिक्षा विभाग द्वारा कही गई है। हैरानी है कि जब शिक्षा विभाग निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक नहीं लगा सकता, तो वह स्कूलों से रिपोर्ट क्यों तलब कर रहा है। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने राजधानी के स्कूलों में फीस वृद्धि मामले पर सरकार को भी प्रोपोजल भेजा है। विभाग की ओर से सरकार को कहा गया है कि वह उन्हें कोई आवश्यक निर्देश जारी करे, ताकि   निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर कोई कदम उठाया जा सकें। गौर हो कि पूर्व शिक्षा सचिव ने निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए नियम लागू किया था। इस नियम के तहत शिक्षा सचिव ने निजी स्कूलों से रिपोर्ट मांगी थी। अहम यह है कि उस दौरान फीस वृद्धि को लेकर भी पूर्व शिक्षा सचिव ने 34 निजी स्कूलों को रेड अलर्ट भी जारी किया था। हालांकि उसके बाद भी सरकार ने स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। अब कहा जा रहा है कि राज्य सरकार ने अगर जल्द कोई कानून या नियम निजी स्कूलों के लिए नहीं बनाया तो वह दिन दूर नहीं, जब हर निजी स्कूल प्रबंधन अभिभावकों पर और भी ज्यादा आर्थिक बोझ डालेंगे। हालांकि विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि अगर कोई अभिभावक  एक्स्ट्रा फीस नहीं दे सकते हैं तो उनके लिए सरकारी स्कूलों में अपने नौनिहालों को पढ़ाने का दूसरा विकल्प है।  उल्लेखनीय है कि इन दिनों निजी स्कूलों में कक्षाएं शुरू होते ही छात्रों की किताबों से लेकर यूनिफॉर्म तक के लिए एक ही दुकान पर भीड़ देखी जा रही है। अभिभावकों को फीस जमा करवाते ही यह साफ कहा जा रहा है कि वे किस दुकान से किताबें, नोटबुक, और यूनिफॉर्म खरीदें। हर साल बढ़ती फीस लोगों का दिक्कत को भी बढ़ा रही है। ऐसे में अब इंतजार है कि कब कोई नियम व कानून बने, जो निजी स्कूलों की मनमानी को रोक सके।