सुपर स्पेशलिस्ट की परीक्षा चार साल बाद

शिमला  – प्रदेश के डाक्टरों को सुपर स्पेशलिस्ट बनने पर बड़ा झटका लगा है। प्रदेश सरकार ने नई पीजी पॉलिसी में एक ऐसी शर्त लगा दी है, जिससे डाक्टरों का सुपर सुपर स्पेशलिस्ट बनने में बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। लिहाजा अभी प्रदेश के 40 डाक्टर इस पॉलिसी में फंस गए हैं। सरकार द्वारा बनाई गई पीजी पॉलिसी में यह शर्त लगाई गई है कि सुपर स्पेशलिस्ट का एग्जाम देने के लिए प्रदेश के चिकित्सकों को चार वर्ष का इंतजार करना होगा। इसकी पुष्टि आरडीए के अध्यक्ष डा. अजय जरियाल ने की है। बहरहाल स्पेशलिज्म के एग्जा़म के लिए सरकार अपने दरवाज़े चार वर्ष के बाद ही खोलेगी। यानी पीजी के बाद चार वर्ष तक डाक्टर को हिमाचल में ही सेवारत होना पड़ेगा। यदि उसकी परीक्षा पास हो भी जाती है तो उसे चार वर्ष से पहले सुपर स्पेशलिस्ट की पढ़ाई करने नहीं भेजा जाएगा। गौर हो कि प्रदेश में स्पेशलिज्म की बहुत क म सीटें हैं। प्रदेश से बाहर एम्स और पीजीआई में सुपर स्पेशलिस्ट की परीक्षा देने के लिए प्रदेश से हर वर्ष 30 से 40 डाक्टर ट्राई करते हैं। इसमें कम से कम आठ से दस डाक्टर ही पास हो पाते हैं। अब ये डाक्टर भी प्रदेश से बाहर पढ़ाई नहीं कर पाएंगे, क्योंकि सरकार ने चार वर्ष की बड़ी शर्त उन पर लगा दी है।

कई विभाग बंद, कैसे बनेंगे सुपर स्पेशलिस्ट 

डाक्टर्स का मानना है कि इस ओर सरकार को राहत देनी चाहिए। आरडीए ने इस परेशानी को मुख्यमंत्री के समक्ष भी रखा है लेकिन इस ओर कोई आगामी फॅसला नहीं लिया गया है। उनका कहना है कि सरकार उन डाक्टर्स से बांड भरवा सकती है, जो सुपर स्पेशलिस्ट की परीक्षा देने एम्स और पीजीआई जाएंगे। गौर हो कि प्रदेश के अस्पतालों में लगभग 500 सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर की कमी है। टांडा मेडिकल कालेज में तो उद़घाटन के बाद चार-पांच विभागों को सुपर स्पेशलिस्ट ही नहीं मिल पाए हैं।

सरकार ने ली है बैंक गांरटी वापस

जयराम सरकार ने बैंक गांरटी को वापस लिया है। डाक्टरों के आंदोलन के बाद डाक्टर से बैंक गारंटी कम करके इसे 10 से पांच लाख कर दिया था, जिसका विरोध डाक्टर कर रहे थे। फिर डाक्टरों के हितों को देखते हुए सरकार ने इसे समाप्त कर दिया। आरडीए के मुताबिक डाक्टरों को बैंक गारंटी की इतनी बड़ी रकम दे पाना मुश्किल हो रहा था।