स्कूलों में टेंशन भगाने का पीरियड

प्रदेश में अनूठी मुहिम; पहली बार स्ट्रेस फ्री काउंसिलिंग को बनाई टीम, मनोचिकित्सक भी देंगे टिप्स

 शिमला —अब स्कूलों में स्टे्रस फ्री क्लासेज लगाई जाएगी। स्कूली बच्चों का पढ़ाई और घर का तनाव दूर करने के लिए शिक्षा विभाग ने स्ट्रेस फ्री काउंसिलिंग टीम बना दी है। इसमें अध्यक्ष संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा विभाग और अन्य सदस्यों में सभी उपनिदेशकों को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत हर हफ्ते तीन कक्षाएं काउंसिलिंग के लिए तय की जा रही है। फिलहाल यदि शिक्षा विभाग का यह फार्मूला चलता है, तो प्रदेश की सरकारी शिक्षा को लेकर यह काफी बड़ा बदलाव कर सकता है। जानकारी के मुताबिक इस कक्षा में शिक्षक की भी काउंसिलिंग कक्षाएं लग सकती हैं। शिक्षा विभाग ने बच्चों में बढ़ते तनाव को लेकर आत्महत्या के उठाए जा रहे कदम पर अंकुश लगाने के लिए यह फैसला लिया है। शिक्षा विभाग का मानना है कि परीक्षा और रिजल्ट के दौरान सबसे ज्यादा बच्चे तनाव की चपेट में आ जाते हैं। यही नहीं, विभाग यह भी मानता है कि बच्चों में तनाव होने का कारण एक मुख्य कारण कई बार घर की परिस्थितियां भी देखी जा रही हैं, जिससे वे अपनी पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसमें ज्यादातर मामले घर में अभिभावकों के आपस में झगड़े के हैं। गठित की गई टीम में शामिल सभी उपनिदेशकों को शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र भी जारी किया जा रहा है, जिसमें काउंसिलिंग का शेड्यूल जारी किया जा रहा है। इसमें प्रिंसीपल या फिर ऐसा शिक्षक बच्चों को काउंसिल करेगा, जो बच्चों का प्रिय है। कक्षा में बच्चों से बातचीत की जाएगी। दो सेशन के तहत कक्षा लगेगी। पहले सेशन में संयुक्त तौर पर बच्चों से बातचीत की जाएगी और दूसरे सेशन में बच्चों से अकेले शिक्षक बात करेगा। यदि उसमें तनाव के लक्षण दिखते हैं, तो जरूरत पड़ने पर उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाया जाएगा।  वहीं हर तीन माह में एक बार एक मनोचिकित्सक द्वारा तनाव के उपर एक स्पेशल लेक्चरर बच्चों के लिए रखा जाएगा।

इंस्पेक्शन टीम रखेगी नजर

शिक्षा विभाग के इंस्पेक्शन सैल को भी यह जिम्मेदारी सौंपी जा रही है कि स्कूल में बच्चों की काउंसिलिंग पर चैक रखा जाए। कार्यक्रम में पहले चरण में सीनियर सेकेंडरी स्कूलों से काउंसिलिंग शुरू की जानी तय की जा रही है। इससे बच्चों की परफोर्मेंस में भी काफी प्रभाव पड़ सकता है।