हे! ईश्वर तूने
होली और परीक्षाओं का
यह क्या मेल बिठाया।
इधर रंग हैं, उधर किताबें
इधर मिठाई तो उधर डांट है।
हम बच्चों की तो आफत ही आफत है।
बुलाती है खिड़की से दोस्तों की टो३ली
खाई मां की झिड़की अगर किताब न खोली
जब मिलेगा जरा ब्रेक
तब खेलूंगा होली,
जम कर खाउंगा गुझियां
रखना है दोनों ही का ख्याल होली हो या एग्जाम्स।
-अंशुल सिन्हा