कांग्रेस में गुटबाजी पर आनंद-वीरभद्र ने लगाई ब्रेक

लोकसभा चुनाव में दोनों नेता पहली बार चले साथ-साथ, राठौर लेकर आए एक मंच पर

शिमला – पिछले कई वर्षों से कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी पर आनंद शर्मा और वीरभद्र सिंह ने फिलहाल ब्रेक लगा दी है। पूर्व में जब-जब भी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुए, उस वक्त वीरभद्र सिंह और आनंद शर्मा की मंजिल एक ही थी, लेकिन राहें अलग-अलग थी। आज जब शिमला संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी धनीराम शाडिंल नामांकन भर रहे थे तो ये दोनों नेता साथ-साथ चले। राज्यसभा में उपनेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह साथ-साथ चलने से विरोधी राजनीतिक दल भाजपा को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। पिछले कुछ वर्षों तक इन दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग कभी थमती नहीं थी, जिस पर आज ब्रेक लग सी गई है। ठीक लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश कांग्रेस के दोनों नेताओं को एक मंच पर लाने में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को सफलता मिली है। यहां तक कि कुलदीप सिंह राठौर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के पीछे आनंद शर्मा की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही, मगर वह वीरभद्र सिंह को बायपास नहीं कर सकते। इसे देखते हुए राठौर पार्टी के सभी नेताओं को साथ लेकर चलने में ही कामयाबी समझ रहे हैं। मंगलवार को कांग्रेस प्रत्याशी धनीराम शांडिल जब नामांकन भरने के लिए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर के साथ पहले पहुंचे। आनंद शर्मा ने वीरभद्र सिंह  का इंतजार किया और एक साथ निर्वाचन अधिकारी के पास अपनी मौजूदगी दिखाई। अब देखना है कि वीरभद्र सिंह और आनंद शर्मा के साथ-साथ चलने से कांग्रेस के लिए कितनी संजीवनी मिल पाती है। आनंद शर्मा और वीरभद्र सिंह 25 अप्रैल को मंडी और हमीरपुर में भी हुंकार भरेंगे। जबकि कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में आनंद शर्मा के दौरे पर अभी असमंजस बना हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इस बार के चुनाव में अभी तक हमीरपुर, शिमला और कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में चुनावी जनसभाओं को संबोधित कर चुके हैं, लेकिन मंडी जाना बाकी है।

पहली बार आनंद को सुनते रहे पूर्व सीएम

हर जनसभा और पत्रकार सम्मेलन में चुप नहीं रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पहली बार आनंद शर्मा को सुनते रहे। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में हालांकि संयुक्त पत्रकार वार्ता थी, लेकिन आनंद शर्मा के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को वीरभद्र सिंह सुनते रहे।  छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह आज राज्यसभा में उपनेता के आगे चुप्पी साधते नजर आए। इसके पीछे भी कुछ राज जरूर छिपा होगा। यह पहला अवसर था कि जब पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ऐसे चुनावी मौसम में भी मीडिया के सामने तब आनंद शर्मा बोलने लगे तो वे चुपचाप सुनते रहे।