चुनाव नहीं लड़ेगा अकाली दल

हरियाणा में पार्टी ने किया बड़ा ऐलान, शिअद के वरिष्ठ नेता भाजपा प्रत्याशियों के लिए मांगेंगे वोट

चंडीगढ़ -हरियाणा में अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाला शिरोमणि अकाली दल (शिअद) बैकफुट पर आ गया है। शिअद हरियाणा में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगा। अलबत्ता अब अकाली नेता सिख बाहुल क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों के लिए वोट मांगते हुए नजर आएंगे।  भाजपा ने बेहद ठोस रणनीति के तहत अकाली को हरियाणा में शांत किया है। मामले को ठंडा करने के लिए अकाली दल ने दावा किया है कि भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव दोनों दलों द्वारा मिलकर लड़े जाएंगे। पंजाब में भाजपा की स्थिति शुरू से ही कमजोर रही है, लेकिन अकाली दल को हमेशा भाजपा के शीर्ष नेताओं के सहयोग की जरूरत पड़ती रही है। दूसरी तरफ  अकाली दल ने हरियाणा में कभी भाजपा का समर्थन करने के बजाय हमेशा इनेलो को समर्थन किया है। अकाली दल यहां इनेलो के समर्थन से न केवल चुनाव लड़ता रहा है, बल्कि प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल पार्टी के समझौते से हटकर इनेलो प्रत्याशियों के लिए प्रचार करते रहे हैं। इनेलो के बिखराव के बीच अकाली दल ने हरियाणा में अपने बल पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। इसके चलते अकाली दल ने अंबाला, कुरुक्षेत्र व सिरसा में अपने स्तर पर चुनावी रैलियों का आयोजन किया था। अकाली दल ने सिरसा व अंबाला लोकसभा सीट पर तो प्रत्याशियों का जल्द ऐलान करने का भी दावा किया था। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, शिरोमणि अकाली दल (बादल) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा राज्यसभा सदस्य बलविंद्र सिंह भूंदड, अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष चरणजीत सिंह सोंटा तथा एकमात्र विधायक बलकौर सिंह के साथ हुई बातचीत में दोनों दलों के बीच आपसी सहयोग की सहमति बनी है। भाजपा हाई कमान ने हरियाणा के वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु को पंजाब व चंडीगढ़ का प्रभारी बनाकर भेज रखा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री तथा अकाली दल के सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल तथा पूर्व उप मुख्यमंत्री व अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के संपर्क में थे। रही सही कसर कैप्टन अभिमन्यु ने पूरी कर दी। सीएम और कैप्टन दोनों दलों के दिल मिलाने में कामयाब रहे। सूत्रों की मानें तो इस बार पंजाब में अकाली दल की स्थिति कुछ कमजोर है। अकाली दल दस व भाजपा तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिसके चलते भाजपा हाई कमान ने भी बादलों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वह बिना किसी देरी के हरियाणा के चुनावी रण से पीछे हट जाएं।