दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्रम्

-गतांक से आगे…

अनादिनिधनाऽमोघा कारणात्मकलाकुला।

ऋतुप्रथमजाऽनाभिरमृतात्मसमाश्रया।। 6।।

प्राणेश्वरप्रिया नम्या महामहिषघातिनी।

प्राणेश्वरी प्राणरूपा प्रधानपुरुषेश्वरी।। 7।।

सर्वशक्तिकलाऽकामा महिषेष्टविनाशिनी।

सर्वकार्यनियंत्री च सर्वभूतेश्वरेश्वरी।। 8।।

अङ्गदादिधरा चैव तथा मुकुटधारिणी।

सनातनी महानंदाऽऽकाशयोनिस्तथेच्यते।। 9।।

चित्प्रकाशस्वरूपा च महायोगेश्वरेश्वरी।

महामाया सदुष्पारा मूलप्रकृतिरीशिका।। 10।।

संसारयोनिः सकला सर्वशक्तिसमुद्भवा।

संसारपारा दुर्वारा दुर्निरीक्षा दुरासदा।। 11।।

प्राणशक्तिश्च सेव्या च योगिनी परमाकला।

महाविभूतिर्दुर्दर्शा मूलप्रकृतिसम्भवा।। 12।।

अनाद्यनंतविभवा परार्था पुरुषारणिः।

सर्गस्थित्यंतकृच्चैव सुदुर्वाच्या दुरत्यया।। 13।।

शब्दगम्या शब्दमाया शब्दाख्यानंदविग्रहा।

प्रधानपुरुषातीता प्रधानपुरुषात्मिका।। 14।।

पुराणी चिन्मया पुंसामिष्टदा पुष्टिरूपिणी।

पूतांतरस्था कूटस्था महापुरुषसंज्ञिता।। 15।।