बीज का पौधा कैसे बना

बच्चो नन्हा सा पौधा कहां से कैसे आया। हां-हां दीदी क्यों नहीं सब बच्चों ने कहा। अच्छा तो सुनो, जब नन्हे बीज को जमीन की मिट्टी मिल जाती है, तो नमी पा कर बीज का छिलका अलग होने लगता है और वह धीरे-धीरे पौधे में बदलने लगता है इन बीज में एक आंख होती है जिनसे छोटे-छोटे बाल जैसे रेशे दिखाई देते हैं इन्ही से यह पानी लेते हैं। कुछ दिनों में इन्ही में से पत्तियां निकलने लगती हैं और यह पौधा बड़ा होने लगता है। तभी सचिन ने पूछा कि यह नन्हा पौधा क्या सिर्फ  पानी पी कर जिंदा रहता है। नहीं, यह खाना भी खाता है। वह ऐसे कि नन्हा पौधा जिस बीज से निकलता है उसी में उसका भोजन होता है। वही खाकर धीरे-धीरे बड़ा होता है। जब तक यह बड़ा नहीं हो जाता, तब तक यह इसी बीज से अपना खाना लेता है फिर जब वह बड़ा हो जाता है, तो अपना खाना खुद बनाता है, हवा पानी और सूरज की रोशनी और खनिज पदार्थ की मदद से।

तो क्या ये पौधे भी बोर्नविटा या हार्लिक्स पीते हैं प्रीति ने पूछा। क्योंकि मेरी मम्मी कहती हैं कि इनको लेने से तुम्हें खनिज पदार्थ मिलेंगे, यह  सुन कर सब बच्चे हंसने लगे।

पौधे जो पानी लेते हैं वह मिट्टी का पानी पौधों की जड़ों में जाता है, तो जमीन में जो बहुत से खनिज पदार्थ हैं वे भी पौधे में चले जाते हैं। इस तरह इन पौधों को ये मिल जाते हैं। पौधे सांस भी लेते हैं और इन में हमारी तरह जीवन भी होता है। बच्चे यह सब जानकारी पा कर बहुत खुश हुए, तभी बारिश भी रुक गई। सामने पार्क में छोटे-बड़े पौधे नए से, जैसे नहाकर चमक के बच्चो को अपनी तरफ बुला रहे थे। बच्चे भाग कर पार्क में चले गए और उन नन्हे पौधों को देख कर खुश हो गए। आज उन्होंने पौधे के बारे में बहुत सी नई बातें जान ली थीं। तो देखा न आपने कि पौधों में भी जान होती है और वह भी आपकी तरह धीरे- धीरे बड़े होते हैं।