सोलन जिला का उपजाऊ खंड है दून घाटी

सोलन की उत्तर दिशा में शिमला जिला, दक्षिण में पंजाब व हरियाणा का रोपड़ जिला, पूर्व में सिरमौर जिला तथा पश्चिम में बिलासपुर जिला स्थित है। इस खंड की समुद्रतल से ऊंचाई भिन्नता 300 मीटर से 3000 मीटर तक है, जिला सोलन का भू-खंड सामान्यतः पहाड़ी, ऊबड़-खाबड़ तथा उठती-गिरती श्रृखलाओं का सम्मिश्रण  है। केवल समरूं घाटी (सोलन तहसील), दून (नालागढ़) तथा कुनिहार (अर्की तहसील) ही समतल क्षेत्र हैं। इस जिला का सबसे उपजाऊ खंड दून घाटी है…

 गतांक से आगे …

सोलन जिला पूर्वी देशांतर मंे 76042 व 77020 तथा उत्तरी आक्षांश 30005 व 31015 के मध्य स्थित है। सोलन की उत्तर दिशा में शिमला जिला, दक्षिण में पंजाब व हरियाणा का रोपड़ जिला, पूर्व में सिरमौर जिला तथा पश्चिम में बिलासपुर जिला स्थित है। इस खंड की समुद्रतल से ऊंचाई भिन्नता 300 मीटर से 3000 मीटर तक है, जिला सोलन का भू-खंड सामान्यतः पहाड़ी, उबड़-खाबड़ तथा उठती-गिरती श्रृखलाओं का सम्मिश्रण  है। केवल समरूं घाटी (सोलन तहसील) दून (नालागढ़) तथा कुनिहार (अर्की तहसील) ही समतल क्षेत्र हैं। इस जिला का सबसे उपजाऊ खंड दून घाटी है।

भू-गर्ववेताओं द्वारा अध्ययन की गई चट्टानों तथा मिट्टी से पता चलता है कि यह क्षेत्र 1200 से 1500 मिलियन वर्ष पूर्व टीथस समुद्र का हिस्सा था। इस समुद्र से प्रस्फुटित लावा के वहने से क्षेत्र की चट्टानों से जिन पहाडि़यां का निर्माण हुआ, उन्हें आज मंडी-दाड़ला-लावा शृंखला के नाम से जाना जाता है, जो सुंदरनगर संरचना का हिस्सा है। लगभग 275 मिलियन वर्ष पूर्व संपूर्ण ठंडन प्रक्रिया हुई तब पूरे समुद्र को तैरते हुए हिमनद ने ढक लिया जो अपने साथ हजारों-लाखों टन बर्फ सम्माहित किए हुए थे। इस प्रकार की निर्मित चट्टानों को ‘बलानी’ समूह के अंतर्गत रखा गया है।

लगभग 25 से 30 मिलियन वर्ष पूर्व मिलियन पर्वत शृंखलाओं ने उठना प्रारंभ किया। इस उठाव की प्रक्रिया से दबाव पड़ने पर गहरे गड्ढे बनने शुरू हुए, जहां कई आकार की चट्टानें इकट्ठी हो गईं। इस भू-निर्माण की प्रक्रिया से यहां का सारा वातावरण जीवन के अनुकूल बन गया, जहां कम गहराई पर पानी उपलब्ध था तथा कई प्रकार की वनस्पति व जीवन को विकसित होने का भी अवसर मिला। तत्कालीन जानवरों के मिले अवशेषों से यहां की भू-संरचना को अध्ययन करने से पता चलता है कि किस प्रकार आदिमानव की अवस्था से आधुनिक जीवन के पनपने की प्रक्रिया इस भू-खंड में चली। हिमालय की कम ऊंचाई वाले क्षेत्र को शिवालिक खंड के नाम से जाना गया। सोलन जिला का भू-भाग तीन प्रमुख नदियों द्वारा संग्रहीत व सिंचित किया जाता है ये हैं-सतलुज, यमुना व घग्गर। यमुना नदी की मुख्य सहायक असली खड्ड तथा सतलुज की सहायक खड्डें हैं कियार का नाला, गम्भर, डावर खड्ड, कुठार नदी इत्यादि। कुशाला नदी घग्गर की मुख्य सहायक खड्ड है। नालागढ़ उपमंडल की मुख्य जलधारा सिरसा है।

बाघल ठकुराई

बाघल रियासत 31019 उत्तरी आक्षांश तथा 76052 व 7705 पूर्वी देशांतर में स्थित थी, इसका क्षेत्रफल 124 वर्गमील था।