हिंदी की तरह संस्कृत भाषा को मिले प्रमुखता

 मंडी —स्नातक व स्नातकोत्तर प्रशिक्षित बेरोजगार संस्कृत अभ्यर्थियों ने आरटीई के तहत शास्त्री पदों के लिए योग्य करने की आवाज बुलंद की है। स्नातक व स्नातकोत्तर प्रशिक्षित बेरोजगार संस्कृत संघ की प्रदेश स्तरीय बैठक रविवार को मंडी में प्रदेशाध्यक्ष परमदेव शर्मा की अध्यक्षता में हुई। इस मौके पर संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां यह व्यवस्था लागू है, जबकि अन्य सभी राज्यों में आरटीई के तहत स्नातक व स्नातकोत्तर प्रशिक्षित बेरोजगारों को संस्कृत पद के लिए योग्य माना जाता है। जब स्कूलों व कालेजों में संस्कृति विषय पढ़ाया जा रहा है, लेकिन अगर इन संस्कृत अभ्यर्थियों को शास्त्री पद के लिए योग्य नहीं माना जाएगा, तो स्कूलों व कालेजों में संस्कृत पढ़ाने को कोई औचित्य नहीं है। अभ्यर्थियों का कहना है कि संस्कृत भाषा को भी हिंदी भाषा की तर्ज पर प्रमुखता दी चाहिए, ताकि संस्कृत में स्नातक व स्नातकोत्तर अभ्यर्थी शास्त्री पदों पर अपनी सेवाएं दे सकें।