इलाज को 60 किलोमीटर दूर भेजे डॉग बाइट केस

मंडी -सीएम के गृह जिला में स्वास्थ्य सुविधाओं का सच यह है कि जहां नेरचौक मेडिकल कालेज में सीटी स्कैन तक की सुविधा नहीं है तो मुख्यमंत्री के गृह विधानसभा क्षेत्र में कुत्ते के काटे मरीजों को इजेक्शन के लिए करीब 60 किलोमीटर दूर जाना पड़ा। इसका खुलासा तब हुआ, जब कुत्ते के काटने के बाद मरीजों को इंजेक्शन लगाने के लिए करीब 60 किलोमीटर दूर जोनल अस्पताल मंडी, बंजार और कुल्लू तक जाना पड़ा। जानकारी के अनुसार सीएम की गृह विधानसभा के बालीचौकी में सोमवार को लावारिस कुत्ते ने करीब 12 लोगों को काट लिया। घायलों की मरहमपट्टी की सीएचसी बालीचौकी में गई, लेकिन सीएचसी में डाक्टर उपलब्ध नहीं था। इसके बाद कुछ मरीजों को 60 किलोमीटर दूर जोनल अस्पताल मंडी तो कुछ मरीजों को बंजार और कुल्लू की ओर जाना पड़ा। एक मरीज को कुत्ते ने बुरी तरह नोच खाया था। मंडी अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने के लिए पहुंचे घायल भद्रु राम ने बताया इलाके में कुत्तों का आतंक है। दो-तीन दिन में ही करीब 12 लोगों को लावारिस कुत्ते ने काटा है। सोमवार शाम कुत्ते ने काटा तो सीएचसी में डाक्टर नहीं था। मरहमपट्टी करवाने के बाद घर चले गए, जबकि मंगलवार को बालीचौकी से जोनल अस्पताल मंडी इंजेक्शन लगवाने पहुंचे। उन्होंने बताया कि करीब 12 लोगों को कुत्ते ने काटा है, कुछ लोगों इसमें तीन लोगों ने जोनल अस्पताल मंडी में इलाज करवाया। हालांकि सोमवार शाम को मरहम पट्टी तो कर दी गई थी, लेकिन मंगलवार को इंजेक्शन के लिए मंडी अस्पताल पहुंचे।

सीटी स्कैन को जोनल अस्पताल की दौड़

नेरचौक मेडिकल कालेज में कुछ ऐसा ही आलम देखने को मिलता है। मेडिकल कालेज में सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे मेडिकल कालेज में दाखिल मरीजों को 14 किलोमीटर दूर जोनल अस्पताल भेजा जाता है। यहां सीटी स्कैन करवाने के बाद वे वापस मेडिकल कालेज जाते हैं।

एआरवी भी है या नहीं..

कुत्ते के काटने के बाद मरीजों को एआरवी (एंटी रैबीज वैक्सीन) देनी होती है। हालांकि सीएचसी में डाक्टर ही नहीं थे या यहां एआरवी ही उपलब्ध नहीं थी यह बात भी एक सवाल है। हालांकि इस बाबत जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. अनुराधा ने बात की गई तो उन्होंने बताया कि बीएमओ से इस बाबत रिपोर्ट ली गई थी। सीएचसी में एआरवी उपलब्ध है।