ईवीएम और वीवीपैट से यूं निकलेगी सत्ता की चाबी

ईवीएम के साथ वीवीपैट जोड़ा गया है और पर्चियों का मिलान भी होना है। इस चुनाव में यह व्यवस्था पहली बार लागू हो रही है। प्रक्रिया के अनुसार सबसे पहले ईवीएम के सीयू (कंट्रोल यूनिट) के रिजल्ट बटन से वोट की गणना होगी। उसके बाद पांचों वीवीपैट के परिणाम से कंट्रोल यूनिट से मिले आंकड़ों को मिलाया जाएगा। पिजन होल बॉक्स की पर्चियों की संख्या से भी वोटों की संख्या का मिलान होगा। ये वही पर्चियां हैं जो आपको वोट डालते समय ईवीएम के दाईं तरफ से निकलती दिखाई दी थीं। इन पर्चियों की गणना भी वोटों की गिनती के साथ हुई थीं। पिछली बार ईवीएम को लेकर विवाद हुआ था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट के निर्णय के बाद पहली बार पांच वीवीपैट का वोटों की गिनती में इस्तेमाल हो रहा है। इससे वोटों की गिनती में किसी भी प्रकार के हेरफेर की गुंजाइश पूरी तरह खत्म हो जाती है। गुरुवार सुबह आठ बजे से लोकसभा की कुल 543 सीटों पर वोटों की गिनती शुरू होगी, जिसके आधे घंटे बाद ही रुझान आने शुरू हो जाएंगे। यहां रिटर्निंग आफिसर के अलावा चुनाव में खड़े प्रत्याशी, इलेक्शन एजेंट, काउंटिंग एजेंट भी रहेंगे, आफिशियल कैमरे से इसकी वीडियोग्राफी होगी। सबसे पहले मतगणना केंद्र पर पोस्टल बैलेट गिने जाएंगे। पोस्टल बैलेट सर्विस वोटर, इलेक्शन के इंप्लाई होते हैं। इसके आधे घंटे में ईवीएम खुलना शुरू होते हैं। पोस्टल बैलेट भी अब ईवीएम के साथ काउंटिंग टेबल पर पहुंच जाते हैं। ध्यान रहे कि एक बार में अधिकतम 14 ईवीएम की गिनती की जाती है। मतगणना केंद्र पर तैनात पर्यवेक्षक की मुख्य ड्यूटी भी अब यहीं से शुरू होती है। वह पहले ईवीएम की सुरक्षा जांच करते हैं, वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि कहीं मशीन से कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई। बटन दबाकर वोट की गणना करने का काम चुनाव अधिकारी का होता है। उसके बाद ईवीएम का कंट्रोल यूनिट का रिजल्ट बटन दबाने पर ही कुल वोटों का पता चल जाता है। साथ ही यह भी पता चलता है कि किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले। वोटों की गिनती का मिलान पांचों वीवीपैट से करके रिटर्निंग आफिसर को भेजा जाता है।