ऐसे प्रलोभनों से जागरूक रहें

– अक्षित, आदित्य, तिलक राज गुप्ता, रादौर

जिन राजनीतिक दलों को पांच साल देश के लोगों की आर्थिक हालत नजर भी नहीं आती, उनकी दृष्टि चुनावों के नजदीक आते ही इतनी पैनी हो जाती है कि वे जनधन से जन वोट खरीदने के लिए हर गरीब को 72 हजार रुपए वार्षिक देने की अनोखी योजना सामने आई है। सरकारी खर्चे पर अन्य ऐसी ही योजनाओं के लुभावने ताने-बाने बनते हैं। मेहनतकश लोगों के आय कर से राजनीतिक खैरात के इस तरह के प्रलोभन यकीनन चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन हैं। इस सब को सख्ती से रोका जाना चाहिए। वैसे जनता को जनधन से आर्थिक प्रलोभन देने वाले राजनीतिक दलों का स्वयं ही बहिष्कार करना चाहिए। सब जानते हैं कि राजनेता सार्वजनिक धन का एक छोटा सा हिस्सा तो जनता पर खर्च कर देते हैं, परंतु बड़ा हिस्सा खुद डकार जाते हैं।