कृषि विश्वविद्यालय स्टार्ट-अप प्रोजेक्ट में शामिल

पालमपुर – भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत एक राष्ट्रीय स्टार्टअप परियोजना शुरू की है, जिसमें प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय सहित 24 संस्थान और विश्वविद्यालय शामिल हैं। कृषि विश्वविद्यालय में एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर की स्थापना के लिए 2.33 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत प्रदेश कृषि विवि ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक योजना तैयार की है, जिसमें 30 लोगों को दो माह का निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। गौर रहे कि हाल ही में विश्वविद्यालय ने छात्रों और ग्रामीण युवाओं के बीच स्टार्टअप संस्कृति को विकसित करने के लिए हिम पालम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-व्यवसाय इनक्यूबेटर (हिम पालम आर-एबीआई) की स्थापना की है। प्रशिक्षित युवा एक नई कंपनी शुरू कर सकते हैं, एक अभिनव विचार विकसित कर सकते हैं, जिसके पास या तो रोजगार सृजन, धन सृजन की उच्च क्षमता वाला एक स्केलेबल बिजनेस मॉडल है या विकास, उत्पादों अथवा सेवाओं के सुधार जैसे नवाचारों पर काम कर सकता है। कोई भी व्यक्ति जो नई कंपनी (स्टार्टअप) खोलना चाहता है, वह चार जून तक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध निर्धारित प्रारूप में आवेदन कर सकता है। प्रत्येक प्रशिक्षु को 30 लाख रुपए तक अनुदान का प्रावधान है। इस केंद्रीय स्टार्टअप योजना के तहत हिम पालमआर-एबीआई 30 कृषि-उद्यमियों के एक बैच का चयन करेगा, जिसमें काम करने योग्य नवीन विचार होंगे। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार के उद्योग निदेशालय ने भी मुख्यमंत्री के स्टार्टअप, इनोवेटिव प्रोजेक्ट, न्यू इंडस्ट्रीज स्कीम के तहत विश्वविद्यालय को एग्री-बिजनेस इन्क्यूबेटर वित्त पोषित किया है, जिसमें पात्र उम्मीदवारों को अपने विचारों को एक सफल उद्यम में बदलने के लिए एक वर्ष के लिए प्रति माह 25 हजार रुपए का भत्ता, मुफ्त तकनीकी सहायता और कई अन्य प्रोत्साहन प्रदान किए जाएंगे। इच्छुक छात्र और ग्रामीण युवा ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जिनके पास काम करने योग्य नवीन विचार है, इस राज्य स्टार्टअप योजना के तहत उद्योग विभाग प्रति वर्ष एबीआई को 10 इनक्यूबेटर्स की सिफारिश करेगा। कृषि विवि के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने विश्वविद्यालय में इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए युवा पुरुषों और महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है। इस क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता विकास को बढ़ावा देना ग्रामीण आजीविका और भारतीय अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए समय की जरूरत बन गया है।