चार महीने में नहीं मारा एक भी बंदर

हिमाचल की 91 तहसीलों में उत्पाती वानरों को मारने की दी थी अनुमति

शिमला -प्रदेश के 11 जिलों की 91 तहसीलों एवं उप-तहसीलों में वानरों को एक वर्ष की अवधि के लिए पीड़क जंतु यानी वर्मिन घोषित किया गया, लेकिन अभी तक चार महीने में एक भी बंदर नहीं मारा गया। राज्य वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इन क्षेत्रों में अभी तक एक भी बंदर नहीं मारा गया। हालांकि खूंखार बंदरों को वन विभाग के कर्मचारी नहीं मारेंगे, लेकिन किसान एवं बागबानों ने भी नहीं मारा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने किसानों की फसलों को हो रहे नुकसान को देखते हुए ही प्रदेश की 91 तहसीलों में बंदरों को मारने की अनुमति दी थी। ऐसे में अब आगामी आठ महीने तक प्रदेश की इन तहसीलों में बंदरों को मार सकेंगे। उसके बाद समय अवधि समाप्त हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 14 फरवरी को अधिसूचना जारी कर वानरों को प्रदेश की 91 तहसीलों एवं उप-तहसीलों में पीड़क जंतु घोषित कर दिया था, जिसका प्रकाशन भारत के राजपत्र में 21 फरवरी को किया गया। यह अधिसूचना एक वर्ष की अवधि यानी अगले साल फरवरी तक लागू रहेगी। इससे पहले 24 मई 2016 को वानरों को हिमाचल के दस जिलों की 38 तहसीलों एवं उप-तहसीलों मे पीड़क जंतु घोषित किया गया था, जिसकी अवधि को 20 दिसंबर 2017 में एक वर्ष के लिए बढ़ाई गई थी। मगर इस दौरान मात्र 17 बंदर ही मारा गया, जबकि नगर निगम शिमला में पांच बंदर ही मारे गए। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2015 में हुई गणना के मुताबिक प्रदेश में दो लाख सात हजार बंदर हैं, जिसमें से एक लाख 70 हजार बंदरों की नसबंदी हो चुकी है। बताया गया कि पिछले साल 20 हजार बंदरों की नसबंदी हुई। इस बार भी वन विभाग ने 20 हजार बंदरों की नसबंदी का टारगेट फिक्स किया है। वन विभाग ने राजधानी शिमला में लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नौ मंकी वॉचर्स तैनात किए थे। हैरानी इस बात की है कि इन मंकी वॉचर्स एक भी बंदर नहीं मार पाए।  वाइल्ड लाइफ विंग हैड र्क्वाटर से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभी तक एक भी बंदर मारने की रिपोर्ट नहीं हैं।