चुनावों ने रोकी होम्योपैथी एम्स की राह

आचार संहिता के चलते भारत सरकार तक नहीं पहुंच पाया प्रस्ताव

 शिमला —आचार संहिता ने प्रदेश में होम्योपैथी एम्स का रास्ता रोक दिया है। भारत सरकार तक होम्योपैथी एम्स बनाने का प्रस्ताव नहीं पहंच पाया है। कारण यह है कि जब यह प्रस्ताव प्रदेश सरकार की ओर से भारत सरकार तक पहुंचाया जाना था, तब आचार संहिता लग गई। हालांकि आयुर्वेद विभाग की ओर इस कार्यक्रम का खाका प्रदेश सरकार को सौंपा जा चुका था, लेकिन वह भारत सरकार तक नहीं पहुंच पाया। अब चुनाव के बाद ही हिमाचल कोे होम्योपैथी एम्स का तोहफा मिल सकेगा। फिलहाल प्रदेश की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर यदि मंजूरी मिलती है तो ये देश का दूसरा होम्योपैथी संस्थान होगा, जो हिमाचल की जमीन पर बनेगा। प्रस्ताव में होम्योपैथी अस्पताल के साथ उसमें टेस्टिंग लैब भी बनाई जाएगी। वहीं, शोध के लिए भी यहां पर विशेष जोन बनाया जाएगा। हालांकि अभी यह तय किया जाना है कि प्रदेश के आखिर किस स्थान पर इस एम्स को स्थापित किया जाना है, लेकिन अभी भारत सरकार को प्रस्ताव सौंपने के बाद दिल्ली में जल्द ही एक बैठक आयोजित की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि होम्योपैथी इलाज की एक ऐसी तकनीक है, जिसमें मरीज़ को बीमारी को क्र ोनिक होने से पहले ही रोका जा सकता है।  हालांकि यदि मामला क्र ोनिक यानी गंभीर हो जाती है, तो उसका इलाज एलोपैथी में किया जाता है, लेकिन इस इलाज में मरीज को दवा के काफी साइडइफेक्ट रहते हैं। लिहाजा प्रदेश में आयुर्वेद और होम्योपैथी से इलाज लेने पर वह बीमारी गंभीर अवस्था में पहुंचने से पहले रुक सकती है। यही नहीं, इस दवा का साइडइफे क्ट भी नहीं होता है।

अभी जमीन फाइनल नहीं

प्रदेश की प्रचीन विद्याआें को अपग्रेड करने के लिए आयुर्वेद विभाग द्वारा बड़ा कदम उठाया जा रहा है। अब आचार संहिता के बाद ही इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाया जा सकेगा। फिलहाल प्रदेश के पपरोला में आयुर्वेद एम्स खोला जाने वाला तय किया गया है, लेकिन यह भी प्रदेश के लिए एक बड़ा कदम है, क्योंकि ऐसी प्राचीन विद्या जो खोने लगी है, उसको लेकर प्रदेश में बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।