क्यों रद्द हुआ नामांकन?
दरअसल, तेज बहादुर की उम्मीदवारी पर तलवार शुरुआत से ही लटकती दिख रही थी. उन्होंने दो हलफनामों में अपनी बर्खास्तगी से जुड़ी दो अलग-अलग जानकारी दी थीं. उन्होंने पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 24 अप्रैल को वाराणसी से नामांकन किया था. इसके साथ दिए गए हलफनामे में उन्होंने बताया था कि भ्रष्टाचार के आरोप के चलते सेना से उन्हें बर्खास्त किया गया.लेकिन बाद में जब समाजवादी पार्टी का टिकट मिलने पर दोबारा नामांकन (29 अप्रैल) के वक्त तेज बहादुर ने जो हलफनामा दायर किया उसमें इस जानकारी को छुपा लिया गया.वाराणसी के रिटर्निंग ऑफिसर ने इसी तथ्य को आधार बनाते हुए तेज बहादुर यादव से सफाई मांगी थी. सुबह 11 बजे तक अपना जवाब दाखिल करना था. संतुष्टी भरा जवाब ना देने पर उनकी उम्मीदवारी रद्द की गई.2017 में बीएसएफ जवान के तौर पर तेज बहादुर यादव चर्चा में आए थे. उन्होंने एक वीडियो जारी सेना के जवानों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी पर सवाल खड़े किए थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. सेना की तरफ से अनुशासनहीनता का दोषी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त किया था. जिसके बाद से ही वह सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे और अंत में उन्होंने वाराणसी से पीएम के खिलाफ ही चुनाव लड़ने की ठानी.