दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्रम्

-गतांक से आगे…

शोभावती शाङ्करी च लोला मालाविभूषिता।

परमेष्ठिप्रिया चैव त्रिलोकीसुंदरी माता।। 36।।

नंदा संध्या कामधात्री महादेवी सुसात्त्विका।

महामहिषदर्पघ्नी पद्ममालाऽघहारिणी।। 37।।

विचित्रमुकुटा रामा कामदाता प्रकीर्तिता।

पिताम्बरधरा दिव्यविभूषण विभूषिता।। 38।।

दिव्याख्या सोमवदना जगत्संसृष्टिवर्जिता।

निर्यन्त्रा यंत्रवाहस्था नंदिनी रुद्रकालिका।। 39।।

आदित्यवर्णा कौमारी मयूरवरवाहिनी।

पद्मासनगता गौरी महाकाली सुरार्चिता।। 40।।

अदितिर्नियता रौद्री पद्मगर्भा विवाहना।

विरूपाक्षा केशिवाहा गुहापुरनिवासिनी।। 41।।

महाफलाऽनवद्याङ्गी कामरूपा सरिद्वरा।

भास्वद्रूपा मुक्तिदात्री प्रणतक्लेशभञ्जना।। 42।।

कौशिकी गोमिनी रात्रिस्त्रिदशारिविनाशिनी।

बहुरूपा सुरूपा च विरूपा रूपवर्जिता।। 43।।

भक्तार्तिशमना भव्या भवभावविनाशिनी।

सर्वज्ञानपरीताङ्गी सर्वासुरविमर्दिका।। 44।।

पिकस्वनी सामगीता भवाङ्कनिलया प्रिया।

दीक्षा विद्याधरी दीप्ता महेंद्राहितपातिनी।। 45।।