दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्रम्

-गतांक से आगे…

सर्वदेवमया दक्षा समुद्रांतरवासिनी।

अकलङ्का निराधारा नित्यसिद्धा निरामया।। 46।।

कामधेनुबृहद्गर्भा धीमती मौननाशिनी।

निःसङ्कल्पा निरातङ्का विनया विनयप्रदा।। 47।।

ज्वालामाला सहस्राढ्या देवदेवी मनोमया।

सुभगा सुविशुद्धा च वसुदेवसमुद्भवा।। 48।।

महेंद्रोपेंद्रभगिनी भक्तिगम्या परावरा।

ज्ञानज्ञेया परातीता वेदांतविषया मतिः।। 49।।

दक्षिणा दाहिका दह्या सर्वभूतहृदिस्थिता।

योगमाया विभागज्ञा महामोहा गरीयसी।। 50।।

संध्या सर्वसमुद्भूता ब्रह्मवृक्षाश्रियाऽदितिः।

बीजाङ्कुरसमुद्भूता महाशक्तिर्महामतिः।। 51।।

ख्यातिः प्रज्ञावती संज्ञा महाभोगींद्रशायिनी।

हींकृतिः शङ्करी शांतिर्गंधर्वगणसेविता।। 52।।

वैश्वानरी महाशूला देवसेना भवप्रिया।

महारात्री परानंदा शची दुःस्वप्ननाशिनी।। 53।।

ईड्या जया जगद्धात्री दुर्विज्ञेया सुरूपिणी।

गुहाम्बिका गणोत्पन्ना महापीठा मरुत्सुता।। 54।।

हव्यवाहा भवानंदा जगद्योनिः प्रकीर्तिता।

जगन्माता जगन्मृत्युर्जरातीता च बुद्धिदा।। 55।।