नेताओं की अमर्यादित भाषा

 रूप सिंह नेगी, सोलन

एक वक्त था जब नेताओं के भाषण इतने प्रभावशाली हुआ करते थे कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध होने से अपने आप को रोक नहीं पाते थे। उनका सकारात्मक संदेश देश के कोने कोने में पहुंच जाया करता था, परंतु आज के नेताओं का नकारात्मक सोच एवं स्वार्थ से भरी अमर्यादित भाषा के साथ भाषण देना चिंतनीय है। आज नेता दिवंगत एवं जीवित विरोधियों के गिरेबान तक पहुंचते हैं। धर्म एवं जातियों में नफरत पैदा करने वाली बातों से जनता को बांटने की कोशिश करते हैं। स्वयं को सर्वगुण संपन्न और विरोधियों को अवगुणी साबित करने की बात करते हैं। ऐसी गंदी और घटिया राजनीति का अंत कैसे और कब होगा, यह कहना संभव नहीं है, परंतु जनता की सूझबूझ से इसका अंत निश्चित रूप से हो सकता है।