प्रियंका की रैली से वर्कर्ज अनजान

 सुंदरनगर की रैली का मैसेज देने में पार्टी प्रबंधन फेल

शिमला —प्रदेश में कांग्रेस, बड़ी रैलियों के प्रबंधन में पूरी तरह से फेल रही है। पहले राहुल गांधी की ऊना रैली में भीड़ का पूरा दारोमदार ऊना जिला पर रहा और अब प्रियंका गांधी की सुंदरनगर में 14 मई को होने वाली रैली का दारोमदार मंडी क्षेत्र के लोगों पर ही है। प्रदेश के दूसरे किसी भी क्षेत्र से कांग्रेस वहां लोगों को नहीं पहुंचा पाई है। ऐसा उसके खस्ताहाल प्रबंधन की वजह से हुआ है। अभी तक अकेले वीरभद्र सिंह के दम पर ही चुनाव प्रचार हो सका है,जिसके अलावा कोई दूसरा नेता अपने क्षेत्र से बाहर नहीं गया। प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर की बात करें तो उन्हें वीरभद्र सिंह के साथ ही चलना पड़ रहा है। जहां पर भी वीरभद्र सिंह की रैली हो रही है वहीं पर राठौर जा रहे हैं। अब प्रियंका गांधी की रैली को लेकर भी कांग्रेस वर्करों में गफलत की स्थिति है। यहां अपने वर्करों को कांग्रेस यह मैसेज तक नहीं दे पाई है कि प्रियंका गांधी की ठियोग में रैली रद्द हुई है न कि सुंदरनगर में है। वर्कर यही समझ रहे है कि प्रियंका गांधी का दौरा रद्द हो गया है। ऐसे में प्रियंका गांधी की रैली में प्रदेश भर का वर्कर नहीं दिखेगा। हालांकि प्रियंका गांधी की यहां पर पहली रैली हो रही है परंतु इसे उस हिसाब से कांग्रेस संगठन जनता के बीच नहीं ले जा पाया। कहीं न कहीं कांग्रेस संगठन की कमियां ऐसे कार्यक्रमों में साफ दिखाई दे रही है। यहां पर कुछ बड़़ी रैलियां करवाने के बजाय पूरे चुनाव में अब तक राहुल गांधी की एक रैली हुई और प्रियंका गांधी की भी एक ही रैली होने जा रही है। इन दोनों नेताओं की रैलियां किसी संसदीय क्षेत्र विशेष तक ही सिमट गई हैं जबकि यह राष्ट्रीय नेता हैं और इनको सुनने के लिए कांग्रेस का वर्कर पूरे प्रदेश से जुट सकता था। मगर प्रबंधन की कमियों के चलते कुछ नहीं हो सका और अंदरखाते कांग्रेस के वर्करों में इसे लेकर खासी निराशा भी है कई मायनों में यह लगने लगा है कि कांग्रेस प्रदेश में औपचारिकता के लिए ही चुनाव लड़ रही है। इस समय प्रदेश भर में प्रचार का जिम्मा वीरभद्र सिंह को दिया गया है, जिनके साथ कोई दूसरे बड़े नेता कम ही दिखाई दे रहे हैं , वहीं  जो लोेग चुनाव लड़ रहे हैं उन पर ही पूरी जिम्मेदारियां डाली जा चुकी हैं। यह कहा जाए कि अपनी ओर से कांग्रेस ने चुनाव की  इतिश्री कर दी है, तो इसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी।