वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ उतरे 102 प्रत्याशी

दिलचस्प हुई काशी की जंग, नामांकन के साथ ही बन गए दो रिकार्ड

वाराणसी -लोकसभा चुनाव 2019 के सियासी रण अपने चरम पर है। इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। हाल ही में सपा-बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव के प्रत्याशी बनने के साथ ही एक और दिलचस्प खबर वाराणसी लोकसभा सीट से जुड़ गई है। दरअसल, इस सीट पर नामांकन की आखिरी तारीख 29 अप्रैल तक कुल 102 प्रत्याशियों ने परचा दाखिल किया है। वहीं पहली बार देश के प्रधानमंत्री पद पर बैठे किसी नेता के चुनाव मैदान में उतरने के कारण इतिहास बना चुकी वाराणसी संसदीय सीट ने नामांकन दाखिला की अंतिम तिथि को भी दो रिकार्ड बना दिए। पहला वाराणसी संसदीय सीट से 102 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया और दूसरा रात 11.15 तक नामांकन होता रहा। बता दें कि एमर्जेंसी के समय भी इतने लोग चुनावी मैदान में नहीं थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण ऐसे तमाम लोगों ने भी नामांकन किया, जिन्हें चुनाव के बहाने अलग संदेश देना है। बनारस संसदीय सीट पर नामांकन के अंतिम दिन सोमवार को 71 उम्मीदवारों ने परचे दाखिल किए। कुल 102 उम्मीदवारों ने अलग-अलग सेट में 199 नामांकन पत्र दाखिल किया है। दो मई को नाम वापसी के बाद तय होगा कि बनारस के रण में कितने उम्मीदवार होंगे। नामांकन करने वालों में प्रमुख रूप से कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय, सपा की शालिनी यादव, प्रख्यात हाकी खिलाड़ी व पद्मश्री मो. शाहिद की बेटी हिना शाहिद शामिल रही। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अतीक अहमद का परचा उनके भतीजे शहनवाज आलम ने दाखिल किया। इसके अलावा तेलंगाना से आए हल्दी किसानों के प्रतिनिधि कुंटा गंगाराम मोहन रेड्डी के साथ कई अन्य किसानों ने पर्चा दाखिल कर सियासत गर्मा दिया है।

2014 में 62 ने भरा था परचा

वर्ष 2014 में पहली बार बनारस से चुनाव लड़ने पहुंचे नरेंद्र मोदी के मुकाबले के लिए 62 लोगों ने परचा दाखिल किया था। मगर नामांकन पत्रों की जांच में कुल 41 प्रत्याशी मैदान में रह गए थे, लेकिन इस बार देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने बनारस पहुंचे हैं। देर रात तक अधिकारी-कर्मचारी फॉर्मों को सहेजने में लगे रहे। नामांकन पत्रों की जांच एवं नाम वापसी के बाद ही तय होगा कितने लोग मैदान में रहेंगे। 

64 उम्मीदवारों पर लग सकती हैं चार ईवीएम

अगर यह उम्मीदवारों की यह संख्या इतनी ही बनी रहती है तो वाराणसी सीट पर बैलट पेपर से चुनाव करवाना होगा। कहा जा रहा है कि नाम वापसी की तारीख निकलने के बाद अगर प्रत्याशियों की संख्या 64 भी बची रहती है तो इस सीट पर ईवीएम से चुनाव करावाया जा सकता है। वहीं, अगर यह संख्या 64 से कम नहीं होती है तो चुनाव आयोग तो बैलट पेपर से मतदान कराने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उम्मीदवारों के नाम वापसी की आखिरी तारीख दो मई है। अगर प्रत्याशियों की संख्या 64 से कम हुई तो चार ईवीएम लगाकर वोटिंग कराई जाएगी। बता दें कि चुनाव आयोग द्वारा एक लोकसभा सीट पर अधिकतम चार ईवीएम लगाने का ही नियम है। हालांकि, चुनाव आयोग एक तरीका और अपना सकता है और वह यह है कि इससे पहले लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण के मतदान के दौरान तेलंगाना की निजामाबाद संसदीय सीट पर भी ऐसी ही स्थिति सामने आई थी। दरअसल, निजामाबाद लोकसभा सीट पर 185 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था। इस स्थिति से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने 12 जंबो साइज ईवीएम का प्रयोग किया था। इन ईवीएम को ‘एल’ शेप में हर बूथ के अंदर रखा गया था।