सिर्फ आधे नंबर से फेल कर दिए छात्र

 शिमला —प्रदेश विश्वविद्यालय व कालेजों से रूसा के तहत पांचवें सेमेस्टर के सैकड़ों छात्रों को आधे व एक-दो नंबर से फेल करने के मामले सामने आए हैं। एचपीयू की परीक्षा शाखा में लगभग 30 से 35 छात्रों ने यह शिकायत दर्ज करवाई है। अब इसे एचपीयू की लापरवाही कहें या कालेज प्रशासन की, लेकिन सैकड़ों छात्रों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। पांचवें सेमेस्टर में आधे व एक-दो नंबर से फेल होने की वजह से छात्र अब पीजी में भी दाखिला नहीं ले पा रहे हैं। उधर, इस पूरे मामले पर एचपीयू प्रशासन ने कालेज के शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया है। एचपीयू का तर्क है कि इन्हीं शिक्षकों ने पेपर चैक किए हैं। इससे कालेज शिक्षकों की मार्किंग पर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि एचपीयू में अभी केवल 30 से 35 शिकायतें ही परीक्षा शाखा में पहुंची हैं, लेकिन कई अन्य कालेजों से भी छात्रों की इसी तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं। बता दें कि एचपीयू ने शनिवार को पांचवें सेमेस्टर का रिजल्ट घोषित किया था। उसके बाद ही छात्रों ने रिजल्ट को लेकर अपनी आपतियां दर्ज करवाई है। छात्रों की इस तरह की मार्किंग से एचपीयू भी हैरान है। जानकारी के अनुसार सोमवार को इस मामले को लेकर एचपीयू के परीक्षा नियंत्रक जीएस नेगी ने कुलपति के साथ बैठक की है। सूत्रों की मानें तो बैठक में चर्चा की गई कि इन छात्रों का भविष्य खराब न हो, इसको लेकर क्या कदम उठाने चाहिएं। बता दें कि रूसा के तहत छात्रों को एक विषय में पास होने के लिए 45 नंबर की जरूरत होती है। छात्रों की मानें तो पासिंग के लिए 45 नंबर बहुत ज्यादा हैं। हालांकि रूसा लागू होने से पहले जब एचपीयू ने पासिंग नंबर पर चर्चा की थी, तो कई शिक्षाविदों ने 45 नंबर की शर्त को कम करने का सुझाव भी दिया था। बावजूद इसके इस पर कोई अमल नहीं किया गया। अब प्रदेश के जो छात्र बाहरी राज्यों में पढ़ना चाहते थे, वे भी अब एंटं्रेस के लिए फॉर्म नहीं भर पा रहे है। जिन विषयों में शिक्षकों ने टफ मार्किंग की है, उनमें ज्यादातर फिजिक्स व कॉमर्स शामिल हैं। अहम यह भी है कि जिन छात्रों ने फेल होने के बाद शिकायत दर्ज करवाई है, उनका दावा है कि उनकी परीक्षाएं बिलकुल ठीक हुई है, और उन्हें बेवजह फेल किया गया है।

यूनिवर्सिटी दोबारा ले परीक्षा

शिमला के आरकेएमवी कालेज की फिजिक्स की छात्रा दिव्या ने कहा कि एचपीयू इस माह दूसरी बार परीक्षा ले सकता है, इससे उनका एक साल बर्बाद होने से बच जाएगा। आरकेएमवी से ही करीब 17 छात्राएं ऐसी हैं, जिन्हें आधे व एक नंबर से फेल किया गया है।