सूखे नहीं, ज्यादा बारिश से होता है नुकसान

प्रदेश कृषि विभाग ने सूखे की स्थिति को लेकर भारत सरकार के पत्र का दिया जवाब, प्रदेश में नहीं अकाल का खतरा

 शिमला —हिमाचल प्रदेश में सूखे का ज्यादा संभावना नहीं होती है। फिर भी कुछ दिन बारिश न हो तो ऐसी स्थिति में फार्मर्स को 15 दिन लेट बीज मुहैया करवाने का प्रावधान है। यह जवाब प्रदेश कृषि विभाग ने भारत सरकार के उस पत्र का दिया है, जिसमें केंद्र ने ड्राउट की स्थिति में क्या कदम उठाए जाते हैं, इस पर जवाब मांगा है। कृषि विभाग ने केंद्र सरकार को साफ कहा है कि पहाड़ी क्षेत्रों में तो किसानों को सूखे की वजह से नहीं, बल्कि कई बार जरूरत से ज्यादा बारिश व ओलावृष्टि से नुकसान झेलना पड़ता है। दरअसल देश के कई ऐसे राज्य हैं, जहां पर गर्मियों में सूखा पढ़ने पर किसानों को काफी नुकसान हो जाता है। कई बार भुखमरी व कई तरह का वायरल तक फैल जाता है। केंद्र सरकार में कई ऐसे राज्यों की इस तरह की शिकायतें सामने आई है। यही वजह है कि भारत सरकार ने हिमाचल से सूखे की स्थिति में क्या कार्य किए जाते हैं, या करने का प्लान है, इस पर रिपोर्ट तलब की है। हालांकि भारत सरकार द्वारा पूछे इस सवाल का जवाब कृषि विभाग के निदेशक देशराज शर्मा ने दे दिया है। उन्होंने कहा है कि हिमाचल में सूखे की स्थिति ज्यादा दिन नहीं होती है। वहीं, अगर बारिश न होने की वजह से किसानों को फसलों को उगाने में देरी हो भी जाती है, तो ऐसी स्थिति में फार्मर्स को 15 दिन लेट उगाए जाने वाले बीज उपलब्ध करवाए जाते हैं।  विभाग ने कहा है कि हिमाचल में साढ़े आठ लाख फार्मर्स को सूखे की स्थिति से छुटकारा दिलाने के लिए सिंचाई योजना का भी पूरा लाभ दिया जाता है। विभाग ने कहा है कि कई बार ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर जैसे क्षेत्रों में गर्मियों में किसान नमी कम होने की वजह से कम ही खेतीबाड़ी करते है। भारत सरकार ने गर्मियों के मौसम में खासतौर पर किसानों को सचेत रहने के निर्देश दिए हैं। केंद्र ने निर्देश दिए हैं कि गर्मियों के मौसम में खेतों की नमी कम होने की वजह से किसानों को नुकसान न हो, इसके लिए समयबद्ध तरीके से कदम उठाए जाएं। जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार अब सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश के लिए अलग से बजट का प्रावधान करेगी।