स्वयं को सशक्त बनाएं लड़कियां

– कमलेश कुमार, फतेहपुर धमेटा

शरारती तत्त्वों की गलत मानसिकता के कारण दुराचार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं और एक बार फिर से शिमला में छात्रा को किसी की हवस का शिकार होना पड़ा है। दुराचार पीडि़त बच्चियों की चीख-पुकार हमेशा ही या तो समाचार पत्रों के पन्नों तक सिमट जाती है या प्रशासन की चौखट पर आकर दम तोड़ देती है। लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस विभाग ही अगर अपने और दूसरे पुलिस थाने के क्षेत्र का हवाला देकर छात्रा की अपील नहीं सुन पाया, तो इसे विभाग का निकम्मापन कहा जाए, तो अतिशयोक्ति न होगी। काफी समय से लड़कियों पर हो रहे ऐसे अत्याचार चर्चा का विषय बनते रहे हैं, परंतु कोई हल नहीं निकल पाया। क्या कभी इस ओर भी कोई कदम उठाया गया है, जिससे लड़कियों को शारीरिक रूप से सशक्त बनाया जा सके? लड़कियों को ही यह समझना होगा कि 24 घंटे उनकी रक्षा के लिए उनके साथ कोई नहीं रह सकता है, इसलिए स्वयं को शारीरिक रूप से सशक्त बनाएं, वरना प्रशासन या अन्य लोगों की सहायता पर निर्भर होकर जीवित रहना उनके लिए बहुत मुश्किल है।