अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका

चौथी तिमाही में ग्रोथ रेट 5.8 फीसदी पर फिसला

 नई दिल्ली –मोदी सरकार के शपथ लेने के दूसरे दिन ही अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बुरी खबर आई है। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर छह प्रतिशत से भी नीचे चली गई है। शुक्रवार को जारी हुए आंकड़ों के मुताबकि, जनवरी-मार्च तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) महज 5.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।  चौथी तिमाही के बेहद कमजोर आंकड़े का असर पूरे वित्त वर्ष की जीडीपी ग्रोथ रेट पर पड़ा जो सात प्रतिशत से नीचे फिसलकर 6.8 प्रतिशत पर आ गया  है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2017-18 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.1 प्रतिशत रहा था, जबकि पूरे वित्त वर्ष में देश का आर्थिक विकास 7.2 प्रतिशत की दर से हुआ था। यानी, जनवरी-मार्च तिमाही में वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले वित्त वर्ष 2018-19 में 2.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, 2017-18 के पूरे वित्त वर्ष के जीडीपी ग्रोथ रेट के मुकाबले वित्त वर्ष 2018-19 में इस आंकडे़ में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई। पिछले पांच साल की किसी भी चौथी तिमाही में छह प्रतिशत से कम की विकास दर नहीं रही थी। साथ ही, 5.8 प्रतिशत का ग्रोथ रेट पिछले 17 तिमाहियों की विकास दर में सबसे कम है, जो पिछले दो वर्षों में पहली बार चीन की विकास दर से भी नीचे है। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत, जबकि तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत रहा था। वित्त वर्ष 2018-19 में सकल राष्ट्रीय आय 139.32 लाख करोड़ रुपए रही, जबकि इससे पहले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 130.34 लाख करोड़ रुपए पर था।  आलोच्य वित्त वर्ष में प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय 10 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एक लाख 26 हजार 40 रुपए दर्ज की गई है। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह एक लाख 14 हजार 958 रुपए रही थी।

जीडीपी को आशंका से भी बड़ी चोट

दरअसल, चौथी तिमाही में विभिन्न क्षेत्र के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट और सरकारी खर्च में कटौती के कारण ग्रोथ को झटका लगने की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी, लेकिन ग्रोथ रेट के छह प्रतिशत से भी नीचे गिरने की उम्मीद किसी को नहीं थी। देश के विभिन्न बैंकों ने ग्रोथ रेट 6 से 6.3 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद जताई थी।