क्यों सोया है सिस्टम

 काहन सिंह, सेवानिवृत्त सूबेदार, मंडी

हमारे देश के सिस्टम और ड्राइवर-कंडक्टर से तौबा। 42 सीटर बस  में 71 सवारियां क्यों? क्या प्रशासन सोया है? सिस्टम  जरूरत से ज्यादा लंगड़ा क्यों हो गया है। क्या सरकार को दुरुस्त सिस्टम बनाने की चिंता ही नहीं है। प्रशासन, सरकार, पक्ष-विपक्ष और बुद्धिजीवियों का सिर्फ संवेदना देने का सिलसिला दो-चार दिन ही चलेगा, परंतु जिन माताओं के चिराग, जो सेकंडों में बुझ गए, उनके कलेजे के जख्म ताउम्र रहते हैं। क्या यह हमारे सिस्टम की उपलब्धियां हैं?   सिर्फ आईएएस, डाक्टर, इंजीनियर, सांइटिस्ट, आईपीएस, मंत्री-मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनना ही उपलब्धि नहीं है। वह आपके कर्मों का फल है। आप देशहित और जनता के लिए क्या कर रहे हैं, वह आपकी उपलब्धियां हैं। जनता की भी गलती है, अगर 42 सीटर बस में सवारियां ठूंस-ठूंस कर भरी हैं, तो इस बारे में प्रशासन को किसी ने अवगत क्यों नहीं करवाया। देश और जनता के लिए अगर आप सही सिस्टम को अमल में लाते हैं, वही आपकी महान उपलब्धि होगी, न कि सिर्फ फितियां लगाना। तभी न तो ऐसी दुखद घटनाएं होंगी, न ही माताओं के कलेजे के टुकड़े वेवक्त बिखरेंगे।