चार्जशीट से पहले सस्पेंड नहीं

नियमों के दायरे में आएंगी सेक्सुअल हृसमेंट कमेटियां

 शिमला —सरकारी विभागों में बनी सेक्सुअल हृसमेंट कमेटियां नियमों के दायरे में आएंगी। इन कमेटियों को सरकार द्वारा तय नियमों का पूरी तरह से पालन करना होगा। कई शिकायतें इस संबंध में सरकार को आई हैं, जिनमें कहा गया है कि तय नियमों के अनुसार ये कमेटियां अपना काम नहीं कर रही हैं। इनके सामने आने वाले मामलों में यदि कोइ कर्मचारी सेक्सुअल हृसमेंट का दोषी पाया जाता है, तो सीधे इनकी सिफारिशों पर ही उसे सस्पेंड कर दिया जाता है। नियम ये कहते हैं कि किसी भी अधिकारी या फिर कर्मचारी के खिलाफ यदि सेक्सुअल हृसमेंट कमेटी सिफारिश देती है, तो उसके खिलाफ चार्जशीट बनेगी, जिसके आधार पर ही सस्पेंशन हो सकेगी। सीधे रूप से सस्पेंशन के मामले ध्यान में आने के बाद कार्मिक विभाग तय नियमों की व्याख्या विभागों को देगा और बताएगा कि उन्हें किस तरह की प्रकिया को फॉलो करना है। इसके लिए कार्मिक विभाग सर्कुलर जारी करने जा रहा है, जिसे तैयार कर लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुरूप सभी सरकारी महकमों में इस तरह की कमेटियों का गठन किया गया है। इन कमेटियों की जिम्मेदारी तय की गई है, जिनके पास दफ्तरों में अपील की जाती है। सरकारी महकमों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिन पर कार्रवाई भी हुई है और इसके आगे विभागीय जांच में भी यह मामले चल रहे हैं, परंतु बिना चार्जशीट के कई लोग सस्पेंड किए जा चुके हैं, जो नियमों का हवाला देकर अदालतों में भी जा चुके हैं। ऐसे मामलों में कानूनी पेंच फंसने के बाद अब कार्मिक विभाग अन्य दूसरे महकमों को सर्कुलर जारी करेगा, जो सही प्रक्रिया के तहत कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। कार्मिक विभाग ने इसको सर्कुलर तैयार कर लिया है। इसे सभी विभागों को भेजा जाएगा।