चिंदबरम के खिलाफ जांच के लपेटे में हिमाचली आईएएस अधिकारी

शिमला -पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच में हिमाचल के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी प्रबोध सक्सेना भी लपेटे में आ गए हैं। हिमाचल के यह सीनियर ब्यूरोक्रेट विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की ब्रांच के हैड थे। आरोप है कि उस दौरान आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने के लिए जमकर अनियमितताएं बरती गई थीं। इसके चलते सीबीआई ने वर्ष 1990 बैच के हिमाचली आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सरकार से केस चलाने की अनुमति मांगी है। हालांकि हिमाचल की जयराम सरकार ने अधिकारी के बचाव में लिखा है कि यह मामला आर्थिक मंत्रालय से जुड़ा है और इसमें हिमाचल सरकार केस चलाने की अनुमति नहीं दे सकती है। इस केस में सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने भी जांच तेज कर दी है। इसके चलते दोनों जांच एजेंसियों के राडार पर आए हिमाचल के आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं। हालांकि उनके खिलाफ केस चलाने की अनुमति पर अभी तक फैसला नहीं हुआ है। पुख्ता सूचना के अनुसार सीबीआई ने केंद्र सरकार से आईएएस अधिकारी प्रबोध सक्सेना के खिलाफ केस चलाने की अनुमति मांगी है। इस पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने हिमाचल सरकार से प्रबोध सक्सेना को लेकर इनपुट मांगे हैं। जाहिर है कि केंद्र की मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकंजा कसते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कीर्ति चिदंबरम का मामला सीबीआई को सौंपा है। बताते चलें कि सीबीआई ने इस मामले में 15 मई, 2017 को केस दर्ज किया था। इसमें पी चिदंबरम के खिलाफ अनियमितताओं के आरोप लगाए गए थे। मामला वर्ष 2007 का है, उस दौरान पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त एवं आर्थिक मामलों के मंत्री थे। आरोप है कि उस वक्त आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी दिलाने में कथित अनियमितताएं बरती गई थीं। इस मामले में कथित रूप से 10 लाख रुपए हासिल करने के लिए चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया था। आईएनएक्स मीडिया कंपनी के तत्कालीन निदेशक इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी भी इस मामले में आरोपी बनाए गए हैं। अब इस मामले में सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय ने जांच तेज कर दी है। केंद्र में मोदी सरकार की सत्ता वापसी के बाद सीबीआई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने लंबित मामलों को गति प्रदान कर दी है। इस कड़ी में पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम के मामले में जांच आगे बढ़ी है।