जंगलों की आग से बढ़ा एयर पॉल्यूशन

हिमाचल में जगह-जगह दहक रहे हैं वन, अच्छी घास के लिए लोग खुद लगा रहे आग

शिमला —इन दिनों प्रदेश भर में जंगलों में लग रही आग से वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वातावरण में फैल रहे धुएं को घातक बताया है। धीरे-धीरे यह धुआं बढ़ता ही जा रहा है, जिससे अनुमान है कि आने वाले दिनों में यदि यही सिलसिला रहता है तो यहां वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाएगी। वातावरण में फैल रहे इस धुएं को मापा जा रहा है। अलग-अलग जगहों से जंगल में आगजनी की रिपोर्ट मिल रही है, जिसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी सचेत है। हालांकि अभी वायु प्रदूषण तय मात्रा से कम ही आंका गया है,लेकिन बोर्ड के विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में यूं ही आगे धधकती रही तो यहां पूरे वायुमंडल में इसका असर दिखेगा। इससे लोगों को सांस लेने में भी दिक्कतें हो सकती है। हिमाचल प्रदेश में जंगलों को आग से बचाने के लिए सरकार ने कई दफा अपनी रणनीति को बदला परंतु इसका कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है। जब तक लोग खुद जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक यह आग नही रुक सकती है। लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार ने कई प्रयास किए हैं। इस दफा भी एक बड़ा अभियान छेड़ा गया है परंतु जंगलों में आग नहीं रुक रही। रोजाना 8 से 10  मामले सामने आ रहे हैं। मैदानी क्षेत्रों में भी जंगल भयंकर तरीके से तप रहे हैं जिनमें रहने वाले जंगली जानवर भी वहां से भागने को मजबूर हैं। गौर हो कि इन दिनों में जंगलों या घासनियों में लगाई जाने वाली आग से आगे बेहतर घास मिलता है और इस घास को हासिल करने के नजरिए से यहां आग लगाई जाती है। हालांकि किनके द्वारा यह आग लगाई गई है इसका पता नहीं चल पाता परंतु ऐसे मामलों को रोकने में कोई भी सरकार की मदद नहीं कर रहा है। वन विभाग के अब तक के प्रयास इसमें निष्फल साबित हुए हैं। प्रदेश का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मानता है कि जंगलों में लग रही आग से उठने वाले धुएं के कारण वायु प्रदूषण में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह परमिसेबल लिमिट से तो नीचे है परंतु आने वाले समय में यह घातक रूप ले सकता है। मानसून सीजन शुरू होता है तभी जंगलों की यह आग भी रुकेगी वरना जंगल यूं ही धू धू कर जलेंगे और इससे लोगों की सेहत पर असर पड़ेगा।