जवान अभी नहीं बनेंगे हवलदार

वेकेंसी होने पर ही होगी बी-वन की अगली परीक्षा, तरक्की के लिए करना होगा इंतजार

 धर्मशाला—हिमाचल पुलिस में सिपाही रैंक में भर्ती जवानों को  हवलदार बनने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। राज्य में वकेंसी न होने के कारण पुलिस विभाग फिलहाल बी-वन परीक्षा को नहीं करवा पा रहा है। इस टेस्ट का आयोजन तभी करवाया जाएगा, जब सूबे में हवलदारों की वेकेंसी होगी। ताजा हालात को देखें तो पूर्व में परीक्षा पास कर चुके सिपाही रैंक के जवानों को ही वेकेंसी के हिसाब से प्रोमोट किया जा रहा है। प्रदेश पुलिस प्रमुख सीताराम मरड़ी की मानें तो बी-वन परीक्षा पास किए हुए उनके पास पहले ही सैकड़ों जवान हैं। ऐसे में उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती उन्हें उनकी योग्यता के आधार स्थान देना है। ऐसे में अगर पूर्व की तरह ही हर साल बी-वन टेस्ट करवाया जाता है तो पास-आउट होने वाले जवानों की संख्या इतनी बढ़ सकती है कि उन्हें अपने रैंक की प्राप्ति के लिए कई सालों का इंतजार करना पड़ सकता है, जो कि अपने आप में बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। वहीं, इस मौके पर पुलिस कर्मचारियों की वर्दी में टोपी के रंग में बदलाव को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि यह देश भर का मसला है। इसे अकेले हिमाचल में नहीं सुलझाया जा सकता। इसे सुलझाने में हिमाचल पुलिस देश भर की पुलिस के साथ ही फैसला लेगी। गौरतलब है कि लंबे अरसे से हिमाचल में पुलिस जवानों व अधिकारियों की टोपी के रंग को एक जैसा यानी ब्लू ही करने की मांग उठती रही है। इस पर बाकायदा हाई कोर्ट ने भी अपना फैसला सुनाया है। बाबजूद इसके यह मामला अभी भी पुलिस के ही पास लटका हुआ है।  पुलिस की हर तिमाही बैठक का सूबे के पुलिस तंत्र पर प्रभाव कुछ इस कदर पड़ा है कि इससे धीरे धीरे कई नए परिणाम सामने आने लगे हैं। पूर्व में जो मामले वर्षों तक लटके रहते थे, वे अब थाना प्रभारियों के साथ सीधी बात से सुलझने लगे हैं। पुलिस प्रमुख के थाना स्तर के अधिकारियोें से शुरू हुई सीधी बात का असर धरातल पर दिख रहा है। हालांकि पुलिस अब ऑनलाइन ठगी के मामलों को सुलझाने की चुनौती पर एक्सपर्ट की राय और युवाओं को इस काम में लगा रही है, ताकि वे आधुनिक तकनीक से ऐसे मामलों का पता लगाकर उन्हें सुलझा सकें।