दवाओं के परीक्षण में महिलाओं से भेदभाव

बॉस्टन -रेबेका शेंस्की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, बॉस्टन में न्यूरो साइंटिस्ट हैं। रेबेका का कहना है कि मेडिकल प्रयोगों के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाइयों का इस्तेमाल नर जानवरों पर ही किया जाता है। कई बार स्त्रियों के लिए बनने वाली दवाओं को भी मादा जानवरों के स्थान पर नर पशुओं पर ही परीक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। रेबेका का कहना है कि परीक्षण में इस भेदभाव का असर है कि महिलाओं पर प्रयोग होने वाली दवाएं उतनी प्रभावी नहीं रहती हैं। अपने रिसर्च पेपर में उन्होंने दावा किया है कि नर पशुओं पर परीक्षण लैंगिक भेदभाव का उदाहरण है और यह गंभीर क्षेत्र जैसे न्यूरो साइंस आदि में अधिक नजर आता है। रिसर्च पेपर के अनुसार, नर पशुओं पर होने वाले परीक्षण मादा जानवरों की तुलना में 6 गुना अधिक होते हैं। रिसर्च में पुरुषों को लेकर लैंगिक भेदभाव कोई नई बात नहीं है। हकीकत यह है कि लंबे समय से मादा पशुओं के हार्मोन स्त्रावित होने के तर्क को आधार बनाकर ज्यादातर परीक्षण नर पशुओं पर ही किए जाते रहे हैं। इसका नतीजा है कि महिलाओं के लिए बनने वाली विशेष दवाओं का कई बार ठीक परीक्षण नहीं हो पाता है। शेंस्की ने  दावा किया है कि नर पशुओं में हार्मोन बदलाव और व्यावहारिक उतार-चढ़ाव मादा पशुओं की तुलना में अधिक होते हैं।