-गतांक से आगे…
वराम्बिका गिरेः पुत्री निशुम्भविनिपातिनी।
सुवर्णा स्वर्णलसिताऽनंतवर्णा सदाधृता।। 96।।
शाङ्करी शांतहृदया अहोरात्रविधायिका।
विश्वगोप्त्री गूढ़रूपा गुणपूर्णा च गार्ग्यजा।। 97।।
गौरी शाकम्भरी सत्यसंधा संध्यात्रयीधृता।
सर्वपापविनिर्मुक्ता सर्वबंधविवर्जिता।। 98।।
सांख्ययोगसमाख्याता अप्रमेया मुनीडि़ता।
विशुद्धसुकुलोद्भूता बिंदुनादसमादृता।। 99।।
शम्भुवामाङ्कगा चैव शशितुल्यनिभानना।
वनमालाविराजंती अनंतशयनादृता।। 100।।
नरनारायणोद्भूता नारसिंही प्रकीर्तिता।
दैत्यप्रमाथिनी शङ्खचक्रपद्मगदाधरा।। 101।।
सङ्कर्षणसमुत्पन्ना अम्बिका सज्जनाश्रया।
सुवृता सुंदरी चैव धर्मकामार्थदायिनी।। 102।।
मोक्षदा भक्तिनिलया पुराणपुरुषादृता।
महाविभूतिदाऽऽराध्या सरोजनिलयाऽसमा।। 103।।
अष्टादशभुजाऽनादिर्नीलोत्पलदलाक्षिणी।
सर्वशक्तिसमारूढ़ा धर्माधर्मविवर्जिता।। 104।।
वैराग्यज्ञाननिरता निरालोका निरिंद्रिया।
विचित्रगहनाधारा शाश्वतस्थानवासिनी।। 105।।