देवसदन में साहित्यकारों का मेला

कुल्लू व्यंग्य महोत्सव में वरिष्ठ व्यंग्यकारों ने कई अहम मुद्दों पर की चर्चा, रचनाकार भी नवाजे

कुल्लू देवसदन में दो दिवसीय कुल्लू व्यंग्य महोत्सव का समापन हुआ। इस दो दिवसीय आयोजन में चार सत्र हुए, जिसमें पचास से ज्यादा साहित्यकारों ने भागीदारी की। दूसरे दिन के सुबह के सत्र में व्यंग्य के मूल तत्त्व पर बोलते हुए युवा व्यंग्य समालोचक डा. एमएम चंद्रा ने कहा कि ऐतिहासिक दृष्टि से देखें, तो हम पाएंगे कि व्यंग्य नाट्य शास्त्र में आया है। विशिष्ट अतिथि के रूप में परसाई की नगरी से वरिष्ठ व्यंग्यकार रमेश सैणी व वरिष्ठ व्यंग्यकार सुनील जैन राही मौजूद रहे। सत्र में रणविजय राव विशिष्ठ वक्ता के तौर पर आमंत्रित रहे। रणविजय राव ने कहा कि व्यक्ति और समाज का साहित्यिक डाक्टर व्यंग्य है, जो संतुलन बनाए रखता है। अशोक अगरोही ने कहा कि आज ग्वाला हितैषी बना हुआ है। रचनाधर्मिता करते वक्त शास्त्रीय चिंतन को आप दिमाग में रखते हैं, इसलिए आप अपने विचार रखिए, पाठक को दिमाग में रखिए। विषय प्रवर्तन करते हुए डा. प्रेम जनमेजय ने कहा कि आलोचक की जो भूमिका है, वह सचेत करती रहती हैं कि क्या पाठकों को परोसा जाना चाहिए। इन सभी सवालों पर नए लोगों ने जो अपनी बात रखी, उनमें चंद्रा और रणविजय का नाम उल्लेखनीय है। रचना को लेकर बात आज की नई पीढ़ी कर रही है, वह अध्ययन कर रही है, जो उदाहरण लेकर बात सूरत ठाकुर, गोपी बूबना, राजेश मांझी व हरीश पाठक और लालित्य ललित ने भी उल्लेख किया। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डा. रमेश सैणी ने कहा कि पहले लोग व्यंग्य लिखते थे, लेकिन अब चिंतन करते हैं, जिसका अनुपात ज्यादा है। सत्र का संचालन युवा रचनाकार तृप्ति अग्रवाल ने किया। व्यंग्य रचनाओं के सत्र की अध्यक्षता हरीश पाठक ने की। इस सत्र का संचालन प्रियंका सैणी ने किया। दो दिवसीय कुल्लू व्यंग्य महोत्सव में साहित्य कला परिषद के अध्यक्ष डा. सूरत ठाकुर ने कहा कि इस आयोजन से जिले के प्रबुद्ध पाठक वर्ग में साहित्य के प्रति जनचेतना का संचार हुआ है।यंग्य यात्रा परिवार की ओर से कई रचनाकारों को इस मौके पर सम्मानित भी किया गया।