नवाही देवी मेला

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां देवी-देवताओं के अनेकों मंदिर है। ऐसा ही एक माता नवाही देवी का मंदिर जोकि जिला मंडी के सरकाघाट से 4 किमी. की दूरी पर नवाही स्थान पर स्थित है। देवी के प्रकट होने के बाद ही लोगों ने अब इस गांव का नाम नवाही रख दिया है, जबकि इस गांव का नाम संगरोह हुआ करता था। मंडी से यह 60 किमी. और बिलासपुर से 50 किमी. और हमीरपुर से लगभग 45 किमी. दूर है। हर साल जून माह में यहां मेला लगता है। यहां नवरात्रों में निरंतर देवी पूजा और अनुष्ठान होते रहते हैं। लोग दूर-दूर से यहां माता के चरणों में शीश झुकाते हैं व मेले का आनंद उठाते हैं। बताया जाता है कि एक बार चूडि़यां बेचने वाला इस गांव में चला आ रहा था। रास्ता जंगल का था और गर्मियों के दिन थे। पेड़ों की छांव के नीचे वह थोड़ी देर आराम करने के लिए बैठ गया और चूडि़यों की गठरी एक तरफ  रख दी। आंख झपकते ही उसके स्वप्न में एक सुंदर बालिका आई, जिसने चूडि़यां पहनने का आग्रह किया। वह तत्काल उठ गया और सामने देखा कि कन्या बैठी है। उसे वह बहुत सुंदर व सुशील लगी। उसने अपनी गठरी खोली और चुडि़यां पहनाने लगा। उस कन्या ने बारी-बारी अपने 9 बाजू निकाले। हैरान होकर बंजारे ने चूडि़यां तो पहना दी, लेकिन उस 9 बाहों वाली बालिका को साधारण न मानकर किसी दैव्य शक्ति के रूप में देखने लगा। चूडि़यां पहनते ही बालिका आंखों से ओझल हो गई। कुछ देर बाद शेर की सवारी पर 9 बाहों वाली वह लड़की पुनः देवी रूप में प्रकट हो गई। उसने बंजारे को आशीर्वाद दिया व वहां से लुप्त हो गई। वह बंजारा इस चमत्कार को देखकर हैरान हो गया। उसके बाद निरंतर गांव के लोगों को देवी के वहां दर्शन शुरू हो गए। लोगों ने एकत्रित होकर इस पर विचार विमर्श किया और जहां उस बंजारे ने कन्या को चूडि़यां पहनाई थीं वहीं 9 मंदिरों का एक समूह बनवा दिया। आज भी श्रद्धालु दूर-दूर से इस देवी से आशीर्वाद लेने आते हैं।

– जीवन धीमान, सोलन