बुनकरों के आए अच्छे दिन

इंस्ट्रीयल पॉलिसी में हस्तशिल्प-हथकरघा के लिए नई रियायतें, धागा खरीद को 10 फीसदी वित्तीय मदद

शिमला —जयराम सरकार न केवल यहां पर निवेश लाने के लिए प्रयास कर रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद छोटे बुनकरों को प्रोत्साहित करने व लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं। बता दें कि सरकार ने नई इंडस्ट्रीयल पॉलिसी को लागू कर दिया है, जिसमें उन हस्तशिल्प व हथकरघा उद्यमियों के लिए भी प्रावधान है, जिनको अभी तक बड़ा बाजार नहीं मिल पाया है। हालांकि हस्तशिल्प व हथकरघा के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इंडस्ट्रीयल पॉलिसी में इसे शामिल कर सरकार ने गांव के विकास से जुड़ी अपनी सोच को दर्शाया है। इंडस्ट्रीयल पॉलिसी के मसौदे के अनुसार  इसमें छोटे-छोटे उद्यमियों को सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। नेशनल हैंडलूम डिवेलपमेंट कारपोरेशन से धागे की खरीद करने वाले बुनकरों को सरकार 10 फीसदी राशि की मदद करेगी। इससे लगता है कि गांव में मौजूद बुनकर कुछ बड़ा काम कर सकते हैं। वैसे भी हिमाचल के उत्पादों की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विद्यमान है, जिसे एक बड़ा बाजार मिल सकेगा। यही नहीं, राष्ट्रीय स्तर के मेलों में भाग लेकर हिमाचल के उत्पादों की बिक्री करने वाले बुनकरों को वहां लिए जाने वाले स्टॉल आदि पर 15 हजार रुपए की सहायता राशि सरकार अपनी ओर से देगी, ताकि उनकी मदद हो सके। इससे  बड़े उत्सवों व राष्ट्रीय महोत्सवों में हिमाचल के यह लोग भाग ले सकेंगे। स्टेट ऑफ दि आर्ट डिवेलपमेंट-कम-एग्जीबिशन सेंटर की स्थापना के लिए यदि कोई उद्यमी कदम बढ़ाते हैं, तो उनको दो करोड़़ रुपए तक की सहायता राज्य सरकार प्रदान करेगी। पॉलिसी में रखे प्रावधानों के लिए अलग-अलग नियम व शर्तें होंगी, जिनका खाका इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद सामने आएगा।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मार्केट पर फोकस

सरकार द्वारा हथकरघा व हस्तशिल्प उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मार्केट उपलब्ध करवाने के लिए भी काम किया जाएगा। इसमें अहम बात यह है कि ई-मार्केटिंग के माध्यम से अपने उत्पादों को बेचने वाले लोगों को सरकार कुल लागत का 60 फीसदी पैसा रिइंबर्स करेगी। इसकी अधिकत्तम राशि दो लाख रुपए तक की होगी, जो कि इन छोटे उत्पादकों को वापस मिल सकती है। अभी तक इस तरह की रिइंबर्समेंट का कोई प्रावधान नहीं था।