मुगला में निहाल किए भक्त

चंबा—निरंकारी मंडल के साप्ताहिक सत्संग में रविवार को निरंकारी महात्मा अरुण महाजन ने मिशन का संदेश देकर श्रद्धालुओं को भक्ति विभोर किया। महात्मा ने प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कहा कि न केवल परमात्मा को जानना बल्कि परमात्मा की मानना भी जरूरी है। परमात्मा की मानने में तभी आनंद है जब हम परमात्मा को जान लेते हैं। इसीलिए कहा गया है कि पहले जानो फिर मानो। महात्मा ने कहा कि परमात्मा कण-कण में व्याप्त है। इसका बोध पूर्ण गुरु द्वारा ही संभव है। मगर परमात्मा के बोध का सही आनंद तभी आता है जब हम सद्गुरू के बताए रास्ते पर चल पाएं।  उन्होंने कहा कि सद्गुरू का यहीं संदेश है कि गृहस्थ जीवन में रह कर ही इनसानियत की सेवा करें। दूसरों के दुख बांटे वहीं दूसरों की खुशी में भी सहभागी बने। ईश्वर को वह लोग प्रिय हैं जो इनसानियत से प्यार करते हैं। परोपकारी जीवन जीते हैं और जहां भी मौके मिले दूसरों के हमदर्द बनने के प्रयास में रहते हैं।  महात्मा ने कहा कि सदगुरू से परमात्मा को बोध करके हम ब्रहमज्ञानी अर्थात निरंकारी तो कहलाते हैं मगर वास्तविक निरंकारी हम तभी कहलाते हैं जब सद्गुरू के उपदेशों का अनुसरण करते हैं। इससे पूर्व अन्य अनुयायियों ने विचारों और भजनों के माध्यम से निरंकारी मिशन का प्रचार एवं गुणगान किया। साप्ताहिक सत्संग का समापन प्रसाद वितरण के साथ हुआ।