शब्दों में समझें मन को

श्रीश्री रवि शंकर

जीवन को एक सही दिशा देने में मन की विशेष भूमिका होती है। जीवन में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके प्रति बहुत गंभीर रहा जाए। यह हाथों में खेलने के लिए एक गेंद है। इसे पकड़े मत रहो। इनसानी जीवन में इच्छा को कभी खुद पर हावी न होने दें…

कहते हैं कि मन से जीवन की दिशा तय होती है, लेकिन ये बड़ा चंचल होता है। इसे समझना आसान नही हैं।

मन को दुखी न करो- हमेशा उन विचारों को दूर करने की कोशिश करें जो मन को दुख पहुंचाने वाले हैं। उन बातों को भी मन पर बिलकुल हावी न होने दें जो आपके अंदर नकारात्मकता भरती हैं।

मन को पकड़कर न बैठो- अकसर मन इधर-उधर भागने लगता है। ऐसे में उसे भागने दो। उसे जबरदस्ती पकड़कर रोकने की कोशिश न करो। इसके बाद इसके पीछे जाओ और इसे वापस ले आओ।

चाहे कुछ भी हो जाए- वह कहते हैं कि इनसान स्वयं अपने मन को खुश रखने के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में उसे यह दृढ़ संकल्प करना जरूरी है कि चाहे कुछ भी हो जाए, कोई भी व्यक्ति मेरी खुशी नहीं छीन सकता। 

मन की विशेष भूमिका- जीवन को एक सही दिशा देने में मन की विशेष भूमिका होती है। जीवन में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके प्रति बहुत गंभीर रहा जाए। यह हाथों में खेलने के लिए एक गेंद है। इसे पकड़े मत रहो।

इच्छा को हावी न होने दें- इनसानी जीवन में इच्छा को कभी भी खुद पर हावी न होने दो। इच्छा हमेशा अकेले मैं शब्द पर लटकती रहती है। ऐसे में जब इनसान मैं का त्याग कर देता है, तब इच्छा भी समाप्त हो जाती है।

समस्याएं आईं और चली गईं- जीवन को लेकर गहराई से सोचिए। अतीत में बहुत सी समस्याएं आई थीं, जो आज नहीं हैं। वे आईं और चली गईं। यह भी चली जाएंगी। आपमें उसको जीतने की ताकत और ऊर्जा है। इससे आत्मविश्वास जागेगा।

मन जब भी विचलित हो- मन जब भी विचलित हो तब दुनिया के उस हिस्से को देखें जहां और ज्यादा बड़ी समस्याएं हैं। जब इनसान उन बड़ी-बड़ी समस्याओं को देखेगा, तो उसको अपनी समस्या बहुत छोटी लगने लगेगी।

समाधान खुद में ही मिल जाएगा- अकसर समस्याओं में लोग दूसरों को पुकारते हैं। जबकि यदि लोग अपने मन को अंतर्मुख करें, तो समाधान उन्हें अपने में ही मिल जाएगा। बस कुछ समय निकाल कर खुद के अंदर झांकने की जरूरत होती है।

न ज्यादा लापरवाह न बेचैन-  हमेशा आराम की चाहत से लोग आलसी हो जाते हैं। इतना ही नहीं पूर्णता की चाहत में क्रोधित और अमीर बनने की चाहत में लालची भी हो जाते हैं। ऐसे में न तो आप बहुत ज्यादा लापरवाह हों और न ही बेचैन हों। 

मन की जीत में संसार की जीत- याद रखें कि यदि आप अपने मन को जीत लेते हैं, तो आप सारा संसार जीत सकते हैं। जब मन अशांत हो, तो गाने बजाने और भजन करने से मन अपने आप शांत हो जाता है।