स्कूलों में भी सेमेस्टर सिस्टम

नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में नौवीं से बारहवीं तक दिया सेमेस्टर सिस्टम का प्रस्ताव

शिमला -हिमाचल प्रदेश में नई शिक्षा नीति को लेकर ड्राफ्ट तैयार हो गया है। इस ड्राफ्ट के तहत अब नौवीं से बारहवीं कक्षा तक के छात्रों को सेमेस्टर सिस्टम के तहत पढ़ाई करनी होगी। सरकार व शिक्षा विभाग ने एमएचआरडी के ड्राफ्ट प्लान के मुताबिक कालेजों की तर्ज पर स्कूलों में भी सेमेस्टर प्रणाली लागू करने का मास्टर प्लान तैयार किया है। वहीं अहम यह है कि नई शिक्षा नीति के तहत हायर और सेकेंडरी शिक्षा को भी मर्ज करने की योजना नए ड्राफ्ट के माध्यम से बनाई गई है। जानकारी के अनुसार फिलहाल 9वीं से 12वीं कक्षा में सेमेस्टर पैटर्न में आठ सेमेस्टर शामिल किए गए हैं। एमएचआरडी की नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में से ये प्रावधान किए हैं। इसके अलावा प्री-नर्सरी कक्षाओं पर आरटीई के नियमों को लागू करने का फैसला भी लिया गया है। इसके तहत अब प्रदेश में शिक्षा विभाग को प्री-नर्सरी और नर्सरी कक्षा के लिए भी राइट टू एजुकेशन एक्ट के नियम और शर्तें पूरी करनी पडे़ंगी। इसके साथ ही इस दौरान स्कूलों में शिक्षक-छात्र रेशो 30ः1 अनिवार्य किया गया है। नए ड्राफ्ट में तय किए गए नियमों के तहत ही स्कूलों में एक्ट के मुताबिक शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी। केंद्र ने इस दौरान बच्चों की स्कूल जाने क ी उम्र भी तय की है। इसके तहत तीन वर्ष के बच्चे को प्री-नर्सरी में दाखिला दिया जा सकता है। इसके साथ ही पॉलिसी में बच्चों को मिड-डे मील के साथ सुबह का नाश्ता उपलब्ध करवाना शामिल किया गया है। इसके साथ ही इसमें छठी कक्षा से तीन भाषा विषय शुरू करने, संस्कृ त विषय को ऑपशनल रखने, अंगे्रजी भाषा को ज्यादा तवज्जो न देने, भारतीय भाषाओं को इस दौरान प्राथमिकता देने को कहा गया है। इसके अलावा आंगनवाडि़यों को प्री-नर्सरी स्कूलों में मर्ज करने को कहा गया है। नई शिक्षा नीति के प्लान में प्रदेश को सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी भाषा के बोलचाल को भी अहमियत देने के निर्देश हुए हैं। यानी की छोटी कक्षाओं से ही छात्रों को केवल अंग्रेजी विषय पढ़ाना ही नहीं, बल्कि छात्रों को कक्षाओं में अंग्रेजी बोलचाल भी सिखाना होगा। नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में छात्रों द्वारा घरों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा का स्कूल में कम प्रयोग करने पर भी नजर रखनी होगी। सूत्रों की मानें तो नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में वोकेशनल कोर्स को भी अहमियत दी जानी चाहिए। वहीं छात्रों को स्कूलों में मिलने वाला इंन्फ्रास्ट्रक्चर भी स्मार्ट होना चाहिए। फिलहाल प्रदेश को एमएचआरडी द्वारा संशोधित कर भेजे गई नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर गौर करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं हिमाचल सरकार व शिक्षा विभाग को शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर ही बेहतर सुधार करने के लिए ड्राफ्ट के अनुसार नई नीति लागू करने के आदेश हुए हैं। बताया जा रहा है कि जल्द ही प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग के साथ इस ड्राफ्ट  के नियमों को लागू करने का लेकर फैसला लेगी।

शिक्षकों के लिए चार साल की इंटीगे्रटिड बीएड अनिवार्य

नई शिक्षा नीति के तहत सभी शिक्षकों के लिए चार साल की इंटीग्रेटिड बीएड अनिवार्य की गई है। इस दौरान बीएड वही कालेज व विश्वविद्यालय करवाएंगे, जहां दूसरे कई विषय चल रहे हों। जिन कालेजों में केवल बीएड ही करवाई जा रही है, उन्हें बंद करने को कहा है। स्कूलों में वोकेशनल शिक्षा को भी शामिल करने का प्रावधान किया गया है।

यूजीसी की जगह अब नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी

नई शिक्षा नीति के अनुसार यूजीसी के स्थान पर अब नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी मान्य होगी। हायर एजुकेशन में इस दौरान तीन भागों में विभाजित किया गया है। वर्ग-1 में शोध करने वाले विश्वविद्यालय शामिल किए गए हैं, जबकि वर्ग-2 में शिक्षण विश्वविद्यालय, वर्ग-3 में शिक्षण संस्थानों को शामिल किया गया है।