…ज़रूरत है लचीली शिक्षा व्यवस्था की

धर्मशाला – भारत की नई शिक्षा नीति के प्रारूप को लेकर धर्मशाला के बुद्धिजीवी वर्ग की ओर से उच्च शिक्षा का नया परिदृश्य नई शिक्षा नीति के प्रारूप पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डीआरडीए सभागार धर्मशाला में आयोजित कार्यक्रम में बाल स्टेट यूनिवर्सिटी अमरीका के प्रो. डा. सुशील शर्मा ने बतौर मुख्य वक्ता शिरकत की। उन्होंने उच्च शिक्षा के नए परिदृश्य विषय पर कहा कि अब विद्यार्थी और शिक्षक दोनों की परिभाषा बदल गई है, इसलिए उच्च शिक्षा में लचीलेपन की आवश्यकता भी बढ़ गई है। उच्च शिक्षा नेतृत्व में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के फेलो रहे डा. शर्मा ने कहा कि अब लोग रिटायरमेंट के बाद भी पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक सूचना का एकमात्र स्रोत नहीं रह गया है, इसलिए नए सिरे से एक लचीली शिक्षा व्यवस्था खड़ी करनी होगी। उन्होंने प्रस्तावित शिक्षा नीति के लचीलेपन की तारीफ की। इस अवसर पर धर्मशाला के शिक्षा जगत से जुड़े हुए प्रो. एसके शर्मा, अरविंद शर्मा, अजय लखनपाल, एमएल शर्मा, ज्योति प्रकाश, डा. वाईके डोगरा, डा. बलवीर छाबड़ा व स्कूल शिक्षा बोर्ड के सेवानिवृत्त सचिव प्रभात शर्मा ने शिक्षा के विविध पक्षों को लेकर अपने विचार सांझा किए। आयोजनकर्ता अतुल भारद्वाज ने बताया कि संवाद कार्यक्रम में धर्मशाला में प्रतिवर्ष एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी का आयोजन करने का प्रयास किया जाएगा, इसको लेकर सहमति बनी है। वहीं विदेशों में रह रहे हिमाचलियों को इस मंच से जोड़ने का निर्णय लिया गया, ताकि इस शहर की अकादमिक पहचान को बढ़ावा दिया जा सके। कार्यक्रम में सत्यपाल सूद, वीर चंद वर्मा, प्रेम सागर, केवल शर्मा, पवन शर्मा, धर्मपाल गर्ग, रविंद्र सिंह बडवाल, सुमित महाजन और अनिल डोगरा सहित अन्य उपस्थित रहे।