अल्लाह के नाम पर जेहाद

कश्मीर में आतंकवाद अभी समाप्त नहीं हुआ है। बेशक आंकड़ों की बिसात बिछाई जाए, लेकिन अब एक नई हकीकत सामने आई है कि अलकायदा आतंकी संगठन कश्मीर में नाम बदल कर अल्लाह के नाम पर आतंकी जेहाद फैलाना चाहता है। अलकायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी ने  वीडियो के जरिए आह्वान किया है कि कश्मीर की लड़ाई जेहाद का ही हिस्सा है। मौजूदा जेहाद को अल्लाह के लिए जेहाद में बदलना होगा। सेना और सरकार पर हमले किए जाएं, ताकि अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचे। मैनपॉवर और साजो-सामान को नुकसान पहुंचाने वाले हमले किए जाएं। दुनियाभर के जेहादियों के संपर्क में रहें। अल जवाहिरी आतंकवाद की दुनिया में ओसामा बिन लादेन का ‘उत्तराधिकारी’ है और दुनिया के ‘मोस्ट वांटेड’ दो आतंकियों में से एक है। अमरीका ने उस पर 2.5 करोड़ डालर का इनाम घोषित कर रखा है। वह आजकल दुनिया के किस हिस्से में मौजूद है, उसकी कोई पुष्ट सूचना नहीं है। उसका वीडियो आह्वान कश्मीर तक कैसे पहुंचा, उसका जरिया उसका गुट ही हो सकता है। बहरहाल कश्मीर में अलकायदा का नामकरण अंसार गजवत-उल-हिंद है। जाकिर मूसा इस संगठन का संस्थापक कमांडर था, जिसे सेना के आपरेशन के दौरान मारा जा चुका है। जवाहिरी ने उसके नाम का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन वीडियो पर उसकी तस्वीर दिखाई गई है। जवाहिरी ने अपने संदेश में पाकिस्तानी फौज और सरकार को ‘अमरीकी चापलूस’ कहा है। उसने दावा किया है- पाकिस्तान ने रूस के अफगानिस्तान से चले जाने के बाद ‘अरब मुजाहिदीन’ को कश्मीर जाने से रोका था। पाकिस्तान अब मुजाहिदीनों का सियासी इस्तेमाल कर रहा है। बहरहाल जवाहिरी का यह आह्वान है, तो कश्मीर में आतंकी गुट की गोलबंदी भी जरूर होगी और कुछ भर्तियां भी की जा रही होंगी। उसके समानांतर भारतीय सेना में भी भर्तियां जारी हैं। कश्मीरी नौजवानों में इतना जोश और जुनून बताया जा रहा है कि करीब 5500 युवाओं ने सेना की नौकरी के लिए पंजीकरण कराया है। आतंकवाद को लेकर हम मोदी सरकार के आंकड़ों पर भरोसा जरूर करते हैं। कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ में 43 फीसदी कमी आई है, आतंकियों की भर्ती भी 40 फीसदी कम हुई है, आतंकी हमलों में 28 फीसदी कमी हुई है, लेकिन 22 फीसदी आतंकी ज्यादा मारे गए हैं। 2019 में ही जुलाई के प्रथम सप्ताह तक 129 आतंकी ढेर किए गए हैं। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया है कि पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर आतंकी हमले के बाद 93 आतंकी मारे जा चुके हैं। ऐसे आंकड़ों के बावजूद कश्मीर घाटी में आतंकवाद के साथ-साथ अलगाववाद भी मौजूद है, यह विडंबना का विषय है। यह दीगर है कि पाकपरस्त अलगाववादी नेताओं के प्रति मोदी सरकार का रुख नरम नहीं है। इनमें एक नाम है- आसिया अंद्राबी। वह पाकिस्तान के आतंकी सरगना हाफिज सईद की बहिन है। उसे जेल की सलाखों के पीछे धकेला गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने तमाम औपचारिकताएं पूरी कर उसके घर के बाहर जब्ती का नोटिस चिपका दिया है। उससे वह मकान खरीदा-बेचा नहीं जा सकता। हुर्रियत कान्फ्रेंस के 112 अलगाववादी नेताओं के करीब 120 बच्चे और परिजन विदेशों में बसे हैं। वहीं पढ़े हैं और वहीं नौकरी कर रहे हैं। आज तक कोई पूछने वाला नहीं था कि कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के पास इतना पैसा कहां से आया? यही आतंकी फंडिंग है, जो अब हुर्रियत नेता एनआईए की पूछताछ के दौरान कबूल कर रहे हैं। इससे भी कश्मीर में आतंकवाद की रीढ़ टूटेगी। अब अलकायदा चाहता है कि कश्मीर में शरिया के मुताबिक ही मुजाहिदीन अपनी रणनीति तय करें। यानी आतंकवाद और अल्लाह के नाम का घालमेल…! दूसरी तरफ मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सीमा-रेखा के आसपास रहने वाले कश्मीरियों के लिए तीन फीसदी आरक्षण का कानून संसद से पारित कराया है। बाबा बर्फानी अमरनाथ की तीर्थयात्रा अभी तक सुखद रही है। पहली बार सुरक्षा की कई व्यवस्थाएं की गई हैं। कश्मीर में कई स्तरों पर कई लड़ाइयां जारी हैं, लेकिन जेहाद की नई रणनीति कामयाब नहीं होनी चाहिए।