आईजीएमसी में सॉल्ट के नाम पर महंगी दवा बेच रही सिविल सप्लाई

लुट रहे मरीज भाग-1

 शिमला  —आईजीएमसी की सिविल सप्लाई में मरीजों को महंगी दवा देने का गोलमाल सामने आया है। यह गड़बड़ी सॉल्ट के नाम पर सिविल सप्लाई दवा दुकानों में हो रही है। इसकी शिकायत आईजीएमसी प्रशासन को भी डाक्टरों द्वारा की गई है। हैरानी की बात यह है कि यह कांबिनेशन नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की एंटीबायोटिक प्रेस्क्रिबिंग की गाइडलाइन मे तहत नहीं आता है। मरीज़ों को छूट देने के नाम पर यह गड़बड़ी सामने आई है। जानकारी के मुताबिक आईजीएमसी में इलाज करवाने आए एक मरीज़ को एंटीबायोटिक दवा लिखी गई। एमोक्सीक्लेव 625 एमजी के नाम से यह दवा लिखी गई। यह एक सॉल्ट नेम है। मरीज़ आईजीमएसी परिसर में स्थापित सिविल सप्लाई की दुकान से ओगूक्लेव 625 एमजी थमा दी गई। फिर मरीज़ डाक्टर के पास दवा लेकर गया तो वे भी हैरान रह गए। इसकी कीमत दस गोलियों की 453 रुपए थी। चौंकाने वाली बात तो यह सामने आई कि यदि इस दवा में लेक्टोबैसिल्स भी डाला गया है तो भी उसकी कीमत भी 453 रुपए नहीं हो सकती। फिलहाल इन दवाआें को लेकर यदि ब्रांडेड दवा, जिनकी मान्यता भी पुष्टिगत है, उनकी तीन दवाआें की तुलना गई तो और भी चौंका देने वाला खुलासा हुआ। इसमें मरीज़ को सिविल सप्लाई से दी गई दवा की कीमत बहुत ही ज्यादा निकली, जिसमें पहली दवा ओगमेंटन 625 एमजी दस गोलियों की कीमत महज 188 रुपए 83 पैसे हैं। वहीं, एक अन्य नामी कंपनी की दवा ऐडवेंट 625 एमजी की दस गोलियों की कीमत 188.81 रुपए है। इसके अलावा अन्य नामी ब्रांडेड दवा जिसका नाम क्लावाम 625 एमजी है, इसकी दस गोलियों की कीमत महज़ 188.80 पैसे है। अब जो दवा मरीज़ को थमाई गई है, उसकी कीमत 453 रुपए है, जो कि बहुत ही महंगी है।

सॉल्ट नेम लिखने को डाक्टर पर दबाव क्यों?

मुनाफाखोरों की कालाबाजारी में सामने आए इस केस ने कई सवाल खड़े किए हैं। इसमें पहला यह कि जब प्रदेश सरकार ने चिकित्सकों को सॉल्ट नेम लिखने के लिए बाध्य किया है तो उसमें दवा कीमत के साथ-साथ गुणवत्ता तय क्यों नहीं की गई है। डाक्टर सॉल्ट नेम से दवा लिख रहे हैं और मरीज़ को सिविल सप्लाई की दुकानों पर महंगी दवाएं थमाने पर क्या चैक रखा जा रहा है?

शिक्षा मंत्री ने भी उठाए थे सवाल

आईजीएमसी में गुरुवार को रोगी कल्याण समिति की बैठक में भी शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सिविल सप्लाई की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा किया था। इसमें शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि सिविल सप्लाई की दुकानों में महंगी दवाएं मिल रही हैं और इस नियंत्रण रखा जाना चाहिए।