सियासी गलियारों में एक ही बड़ा सवाल; किसके षड्यंत्र का शिकार हो गईं महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष, हफ्ते बाद कैसे लीक हो गई मेल
हैरान हूं कि मीडिया तक कैसे पहुंची बात
करीब 32 वर्षों से भाजपा से जुड़ी महिला नेत्री इंदु गोस्वामी का कहना है कि वह इस विषय पर कोई भी टिप्पणी नहीं करेंगी। उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि उनकी कुछ दिक्कतें थी, जो कि उन्होंने प्रदेश के शीर्ष संगठन व जिला संगठन के सामने रखी हैं, लेकिन यह बात मीडिया तक कैसे पहुंची, इससे वह भी हैरान हैं। उनका कहना है कि सारा मसला संगठन से जुड़ा है और इसलिए वह इस पर कुछ नहीं बोलेंगी। संगठन के फैसले के बाद ही वह कोई फैसला लेंगी।इंदु ने कहा कि वह भाजपा की कर्मठ कार्यकर्ता हैं और आगे भी रहूंगी।
कांगड़ा में ठीक नहीं माहौल
प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में भाजपा के भीतर विरोध की चिंगारी सुलगने लगी है। सियासी बिखराव से जूझ रहे कांगड़ा जिला में पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। धर्मशाला में उपचुनाव की दृष्टि से आयोजित किए जाने वाले त्रिदेव सम्मेलन में भले ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दूरी बना ली हो, लेकिन प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती व संगठन मंत्री पवन राणा के समक्ष कई शिकायतें पहुंचने वाली हैं। कांगड़ा में अचानक आए सियासी उबाल से माहौल गर्माने लगा है। हालांकि इससे पहले ही हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।
संगठन में संभाला हर मोर्चा, ऐसा क्या हुआ
बैजनाथ – 32 साल से भाजपा संगठन से सक्रिय रूप से जुड़ी, कई ओहदों पर पार्टी के लिए निष्पक्ष भाव से कार्य कर रही महिला मोर्चा की लगभग दो वर्षों से प्रदेशाध्यक्ष रही इंदु गोस्वामी का अपने पद से त्यागपत्र देना, भाजपा संगठन पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है। क्या कारण रहे होंगे कि प्रदेश में भाजपा की सरकार, केंद्र में भाजपा की सरकार, सब जगह सत्ता सुख, ऐसे में इंदु गोस्वामी का अपना पद छोड़ना क्या मायने रखता है। 1988 से कालेज से भाजपा संगठन से जुड़ी इंदु गोस्वामी ने आरंभिक आठ साल तक युवा मोर्चा में अहम भूमिका निभाई, उन्होंने पूर्ण कालिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया। यही नहीं, वर्ष 1998 में जब विधानसभा चुनावों ने इंदु गोस्वामी बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र से टिकट की प्रबल दावेदार थी, लेकिन उस समय उन्हें टिकट नहीं मिला था। उस समय भी अन्य राजनीतिक दलों द्वारा उन्हें टिकट की ऑफर की थी, लेकिन इंदु गोस्वामी ने उस ऑफर को ठुकरा कर अपनी ही पार्टी के लिए कार्य किया। संगठन के लिए हर मोर्चा संभाला। इंदु गोस्वामी वर्ष 2000 में चार साल तक प्रदेश महिला मोर्चा की महामंत्री रहीं। धूमल सरकार के कार्यकाल में महिला आयोग की अध्यक्ष, उसके बाद समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष पद पर बखूबी कार्य किया। यही नहीं, तीन साल तक प्रदेश भाजपा सचिव रहने के बाद शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें प्रदेश महिला मोर्चा के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। यहां भी भाजपा नेत्री ने इस अल्प अवधि में 70 हजार महिलाओं को भाजपा में जोड़कर अपनी कार्यप्रणाली की दक्षता दर्शा दी।