कल शाम चार बजे मंदिरों के द्वार बंद

चंद्रग्रहण के चलते 13 घंटे सूतक, आस्ट्रेलिया-अफ्रीका-एशिया में दिखेगा प्रभाव

करसोग —सोलह जुलाई से 17 जुलाई की भोर तक चंद्रग्रहण का योग बन रहा है, जिसमें दान पुण्य का विशेष महत्त्व रहेगा। मंगलवार होने के कारण सभी प्रमुख मंदिरों के पट शाम चार बजे सूतक लगने के कारण बंद हो जाएंगे, जो अगले दिन सुबह खुलेंगे। यह कहना है कुमारसैन के पंडित शशी पाल डोगरा का। उनकी मानें तो 16 जुलाई की रात्रि श्रावण संक्रांति ब्यास पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का योगकारक बन रहा है। इस कारण 13 घंटे तक मंदिरों में अराध्य के दर्शन नहीं हो सकेंगे। पंडित का कहना है कि भारतीय समय के अनुसार यह रात में एक बजकर 31 मिनट पर, ग्रहण का मध्य भर में तीन बजकर एक मिनट एवं चंद्र ग्रहण का मोक्ष प्रातः भोर के समय चार बजकर 30 मिनट पर होगा। ग्रहण की कुल अवधि लगभग दो घंटे 59 मिनट होगी। भारत के साथ ही यह ग्रहण आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, एशिया, यूरोप और दक्षिणी अमरीका में भी दिखाई देगा। बताया जा रहा है कि 16 जुलाई को मंगलवार है, उसी दिन ग्रहण पड़ रहा है। ऐसे में प्राचीन मंदिर के द्वार शाम चार बजे बंद कर दिए जाएंगे। पूरी रात बंद रहने के बाद द्वार सुबह चार बजकर 45 मिनट पर खुलेंगे। मंगलवार शाम की आरती मंदिर के बाहर दीपक जलाकर की जा सकती है। शाम के वक्त मंदिर परिसर में भजन कीर्तन भी किया जा सकता है तथा दूसरे दिन बुधवार सुबह साढ़े चार बजे मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोले जाएंगे। चंद्रग्रहण का सूतक के कारण करीब 13 घंटे मंदिर के कपाट बंद रहेंगे और दूसरे दिन ही भक्तों को अराध्य के दर्शन होंगे। ग्रहण काल में जप, स्नान, ध्यान और दान-पुण्य का विशेष स्थान रहेगा तथा ऐतिहासिक धार्मिक तीर्थ स्थल पर स्नान का पुण्य भी मिलेगा।

इन राशियों पर ये असर

यह ग्रहण धनु एवं मकर राशि पर लगेगा, जबकि सभी राशियों में मेष राशि अपमान, वृष राशि महाकष्ट, मिथुन दंपति कष्टकारी, कर्क में मुनाफा व सुख, सिंह में मन परिवार की चिंता से दुखी, कन्या में धन की हानि और कष्ट, तुला में मिला जुला धन लाभ, वृश्चिक में मान-सम्मान में गिरावट, मकर में हानि, कुंभ में मध्यम, मीन राशि में सुख आदि का प्रभाव रहेगा।