गुस्से का स्रोत

जेन कहानियां

यामाओका तेशु एक युवा जेन साधक था। अपनी अधीरता के वश में वह एक से दूसरे जेन गुरु के पास भटकता रहता था। एक बार वह शोकोकू के आश्रम में जेन गुरु दोकुओन के पास आया। अपना ज्ञान बघारते हुए उसने कहा, मन, बुद्धि, चेतन जगत आदि सब अस्तित्त्वहीन हैं। मात्र आभासी। सत्य केवल शून्य है और कुछ  भी सत्य नहीं। कोई भ्रम नहीं। कोई महान नहीं, कोई अपूर्ण नहीं…न लेना, न देना। दोकुओन आराम से हुक्का गुड़गड़ाते रहे, कोई प्रतिक्रिया नहीं की। अचानक उन्होंने हुक्का उठाया और यामाओका के सिर पर दे मारा। चोट खाकर यामाओका आग बबूला हो गया। अगर सबकुछ शून्य है, दोकुओन ने उससे पूछा, तो यह गुस्सा कहां से आया।