ट्रम्प, इमरान के बीच अफगानिस्तान मुद्दे पर हुई चर्चा

वाशिंगटन  – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मुलाकात के दौरान द्विपक्षीय संबंधों और अफगानिस्तान के मसले पर बातचीत की। दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद व्हाइट हाउस की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया कि गत वर्ष अगस्त में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद पहली बार अमेरिका के दौरे पर आये श्री खान ने श्री ट्रंम्प के साथ क्षेत्रीय स्थिरता के खिलाफ आतंकवादी खतरे और अफगानिस्तान में संघर्ष के शांतिपूर्ण तरीके से हल के लिए पाकिस्तान के समर्थन के बारे में भी चर्चा की ।” वक्तव्य में कहा गया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि अमेरिका की सुरक्षा चिंताओं के समाधान के बाद द्विपक्षीय आर्थिक जुड़ाव पारस्परिक रूप से फायदेमंद होगा। अमेरिका और पाकिस्तान लंबे समय से इस क्षेत्र की सुरक्षा और अफगानिस्तान में जारी दीर्घकालीन युद्ध को खत्म करने के लिए एक-दूसरे के दृष्टिकोण पर अडिग हैं। गौरतलब है कि अमेरिका ने पिछले साल पाकिस्तान को 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि को रद्द करने की घोषणा की थी। अमेरिकी लोगों का दावा है कि पाकिस्तान श्री ट्रम्प की दक्षिण एशिया रणनीति के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। श्री ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि स्थगित की गयी पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता वापस हो सकती है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या हल निकालते हैं। राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी के बारे में भी बात की। वर्ष 2001 से अफगाानिस्तान में अमेरिकी सैनिक तैनात है। श्री ट्रम्प ने इसे ‘हास्यास्पद’ बताते हुए कहा,“हमने अफगानिस्तान में सैनिकों को कम करना शुरू कर दिया है।” श्री खान ने संवाददाताओं से कहा कि अफगानिस्तान में कोई सैन्य समाधान नहीं है, और उन्होंने आशा व्यक्त की कि तालिबान से आग्रह किया जाएगा कि वह अफगानिस्तान की सरकार से बात करें और आने वाले दिनों में इस मसले का राजनीतिक समाधान निकाला जाये। अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिकी विशेष दूत ज़लमाय खलीलज़ाद ने कतर में कुछ सप्ताह पहले तालिबान के वार्ताकारों के साथ वार्ता के नवीनतम दौर का समापन किया। उन्होंने रिपोर्टों के हवाले से कहा था कि अफगानिस्तान अतीत में किसी भी समय की तुलना में शांति तक पहुंचने के करीब हैं। अमेरिका और पाकिस्तान 2001 से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में सहयोगी रहे हैं, जब अमेरिका ने अल-कायदा के आतंकवादियों के उन्मूलन के लिए अफगानिस्तान में हमले शुरू किए और तालिबान को उखाड़ फेंका।