तीन तलाक बिल लोकसभा में पास

नई दिल्ली – लोकसभा ने गुरुवार को लंबी बहस के बाद तीन तलाक विधेयक को ध्वनि मत से मंजूरी प्रदान कर दी। विधेयक के पारित होने के दौरान कांग्रेस, जदयू, तृणमूल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी तथा कुछ अन्य विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। अब सरकार की कोशिश इसे इसी सत्र में राज्यसभा में पास कराने की होगी। मौजूदा सत्र को भी बढ़ा दिया गया है, जो अब सात अगस्त तक चलेगा। संशोधनों और बिल पर वोटिंग के दौरान कांग्रेस सांसदों ने वॉकआउट किया। टीएमसी और जेडीयू ने भी वॉकआउट किया। बता दें कि शायरा बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2017 में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी तीन तलाक बिल को लोकसभा की मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा से इसे मंजूरी नहीं मिली थी, जिसके बाद सरकार ने तीन तलाक को लेकर अध्यादेश जारी किया था। तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष के सवालों और आपत्तियों का विस्तार से जवाब दिया। तीन तलाक बिल पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बिल का विरोध करने वाले वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मसला न धर्म का है, न इबादत का, न सियासत का, न वोट का, बल्कि यह मसला नारी के साथ न्याय का है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि 1986 में शाह बानो केस में अगर वोट बैंक पॉलिटिक्स को लेकर कांग्रेस के पांव नहीं हिले होते, तो आज हमें इस बिल को भी लाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि वह नरेंद्र मोदी सरकार में कानून मंत्री हैं, राजीव गांधी सरकार के कानून मंत्री नहीं और वह मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय के पक्ष में खड़े रहेंगे। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वोट की राजनीति को लेकर बिल का विरोध किया जा रहा है। अगर 20 से ज्यादा इस्लामिक देशों में तीन तलाक प्रतिबंधित है, जहां शरिया है वहां इस पर प्रतिबंध है, तो हम तो सेक्युलर कंट्री हैं तो यहां क्यों नहीं? उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता था कि ओवैसी साहब को इस्लाम की बहुत अच्छी जानकारी है। लेकिन जब पैगंबर साहब तलाक-ए-बिद्दत को गलत मानते थे तो इस बिल का विरोध क्यों किया जा रहा है।

पांच माह में दूसरी बार

लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक विधेयक चर्चा के बाद पास हो गया। इसके पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े। यह दूसरी बार है, जब विधेयक लोकसभा में पास किया गया। इससे पहले फरवरी में भी बिल को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा ने इसे मंजूरी नहीं दी थी।

आजम खान की टिप्पणी पर जमकर हंगामा

नई दिल्ली – मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पर लोकसभा में गुरुवार को चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के आजम खान की एक टिप्पणी को लेकर भारी हंगामा हुआ, जिसके बाद सपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। श्री खान ने विधेयक पर चर्चा की शुरुआत एक शेर से की, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि काफिला लुटा कहां’। इस पर पीठासीन उपाध्यक्ष रमा देवी ने उनसे कहा कि आप वह इधर उधर न देखें, बल्कि आसन की तरफ देखकर अपना पक्ष रखें। इसके बाद श्री खान ने एक टिप्पणी की, जिसका सत्तापक्ष के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया और कई सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर उनसे माफी मांगने की मांग करने लगे। रमा देवी ने भी उनसे माफी मांगने को कहा, लेकिन श्री खान ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और हंगामा बढ़ गया। कानून मंत्री रविशंकर ने भी श्री खान की टिप्पणी पर कहा कि उनका अनुभव 19 साल का है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि आसन के खिलाफ टिप्पणी की गई और वह भी तब जब आसन पर एक महिला हों। उन्होंने भी कहा कि श्री खान को माफी मांगनी चाहिए। इसी बीच अध्यक्ष ओम बिरला आसन पर आ गए और उन्होंने श्री खान की टिप्पणी को कार्यवाही से हटा दिया। उन्होंने सपा सदस्य से अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा जिस पर श्री खान ने कहा कि वह लंबे समय से सार्वजनिक जीवन में हैं, उन्होंने किसी मंशा से अपनी बात नहीं कही थी। वह किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए बात नहीं कहते हैं। इस बीच उनकी ही पार्टी के अखिलेश यादव श्री खान की टिप्पणी पर कुछ कहने के लिए उठे, लेकिन भाजपा के सदस्यों ने शोर शराबा करने लगे, जिसके कारण उनकी बात सुनाई नहीं दी। इसके बाद श्री खान फिर से विधेयक पर अपना पक्ष रखने के लिए खड़े हुए, लेकिन भाजपा सदस्यों की टोका-टोकी जारी रही, जिसके विरोध में वह सदन से बहिर्गमन कर गए। उनके साथ सपा के अन्य सदस्य सदन से चले गए। इस दौरान बहुजन समाज पार्टी के दानिश अली भी कुछ कहना चाहते थे, लेकिन अध्यक्ष की ओर से अनुमति नहीं मिलने पर वह भी अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ बहिर्गमन कर गए।

आरटीआई संशोधन बिल को राज्यसभा से मंजूरी

नई दिल्ली – सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक को लोकसभा के बाद राज्यसभा की भी मंजूरी मिल गई है। गुरुवार को आरटीआई अमेंडमेंट बिल को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की विपक्ष की मांग के पक्ष में सिर्फ 75 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 117 वोट पड़े। संसद के दोनों सदनों से आरटीआई संशोधन बिल पास होने के बाद अब यह कानून का शक्ल ले लेगा।