बीएड के बाद नौकरी को 20 साल इंतजार

शिमला -प्रदेश में बीएड कर चुके व कर रहे अभ्यार्थियों को अच्छी खबर नहीं है। शिक्षक बनने का इंतजार कर रहे बीएड युवाओं को अपनी बारी के लिए 20 वर्षों से भी ज्यादा इंतजार करना होगा। जी हां, जिस गति से बैचवाइज भर्ती हो रही है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि युवाओं का इंतजार कितना लंबा होने वाला है। जानकारी के अनुसार वर्तमान में बीएड बैचवाइज भर्ती में आर्ट्स व कॉमर्स संकाय में 1999, मेडिकल संकाय में 1999 और नॉन मेडिकल संकाय में 1998 का बैच चल रहा है, जबकि प्रदेश विश्वविद्यालय से हर वर्ष हजारों अभ्यर्थी बीएड प्रवेश के लिए आवेदन करते हैं। इसमें सरकारी और निजी कालेजों से बीएड करने वाले अभ्यर्थी लगभग 11 हजार से अधिक हैं। विभाग के अनुसार पिछले वर्ष बीएड कैडर के लगभग 10 हजार पद रिक्त थे, जिस पर लगभग छह हजार से अधिक पदों पर अब तक भर्ती हो चुकी है व इस वर्ष लगभग चार हजार बीएड कैडर के पदों पर भर्ती की जा सकती है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग का तर्क है कि बैचवाइज भर्ती का ही कारण है कि सरकारी स्कूलों में कई बार ऐसे शिक्षक नहीं मिल पाते, जो आज के शिक्षा स्तर को समझते हों। बता दें  प्रारंभिक शिक्षा विभाग बैचवाइज को खत्म कर मैरिट के आधार पर शिक्षकों की भर्ती करना चाह रहा हैं, लेकिन बैचवाइज भर्ती के इंतजार में बैठे हजारों युवाओं के भविष्य को देखते हुए सरकार ने कोई भी फैसला नहीं लिया है। वहीं, प्रदेश में बीएड करने वालों में से सबसे ज्यादा संख्या लड़कियों की है। हर साल 70 प्रतिशत लड़कियां ही बीएड के लिए आवेदन करती हैं।

जल्द भरे जाएंगे पद

प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक रोहित जम्वाल के अनुसार बीएड कैडर के पदों को भरने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जनवरी, 2018 में दस हजार बीएड कैडर के पद रिक्त पदों में से 6250 पदों पर अब तक भर्ती की जा चुकी है व शेष रिक्त पदों को इस वर्ष तक भरा जाएगा। इस संबंध में प्रकिया जारी है। जल्द ही शिक्षकों के रिक्त पदों को भर दिया जाएगा

क्या कहती है एचपीयू

प्रदेश विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता अध्ययन अरविंद कालिया का कहना है कि प्रति वर्ष लगभग 11 हजार अभ्यर्थी बीएड कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में सरकारी व निजी कालेजों की लगभग आठ हजार सीटों के लिए इस बार करीब 13 हजार अभ्यर्थियों ने बीएड के लिए आवेदन किया है। इस बार बीएड के लिए पिछले वर्ष की तुलना में अधिक आवेदन आए हैं।